बड़े बदलावों की क्षमता रखने वाली कोई भी नई तकनीक आती है, तो उसे शक की नजर से देखने वालों की संख्या कम नहीं होती. खास तौर पर अगर नई तकनीक की टेस्टिंग पर काफी पैसे खर्च करने की जरूरत हो, तब और ज्यादा संदेह जताया जाता है. इलेक्ट्रिक व्हीकल (electric vehicle – EV) के उभरते हुए बाजार के साथ भी यही हो रहा है.
सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर जोर दे रही है. उसके उत्पादन, रिसर्च, डिवेलपमेंट और इनोवेशन को बढ़ावा दे रही है. इसके बावजूद कइयों के मन में टेक्नॉलजी, प्रॉडक्ट, सपोर्ट और सर्विस इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे होंगे.
बेंगलुरू के हालिया किस्से से EV के सामने खड़ी चुनौतियों की झलक मिलती है, जहां एक एग्जिक्यूटिव को अपार्टमेंट की पांचवीं मंजिल पर स्थित अपने किचन में ले जाकर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर को चार्ज पर लगाना पड़ा. इतना तामझाम इसलिए कि अपार्टमेंट में रहने वाले रेजिडेंट EV को नीचे चार्ज पर लगाने की अनुमति देने को तैयार नहीं हुए.
इससे पता चलता है कि इस नई तकनीक को अपनाने वालों को कैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. इनसे बचने के लिए व्हीकल को लीज पर दिए जाने की सुविधा से मदद मिल सकती है. अमेरिका में जिस तरह पर्सनल व्हीकल को लीज (lease) पर लेने का चलन है, वैसा हमारे देश में कभी हो नहीं पाया. शायद इसलिए कि लगातार इस्तेमाल होने वाली चीजों की ‘ओनरशिप’ को लेकर हम सेंटिमेंटल हो जाते हैं.
देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट (EV market) जैसे-जैसे क्षमता दिखा रहा है, उसी के साथ कुछ फाइनेंशियर, स्टार्टअप और मोबिलिटी सॉल्यूशन कंपनियों ने सेगमेंट के वाहनों को लीज पर देने की तैयारियां शुरू कर दी हैं. इससे नए सेगमेंट को तेजी से पॉपुलर करने में मदद मिलेगी. ग्राहकों को नई तकनीक और उसकी सेवाओं को आजमाने का मौका मिलेगा. वे सोच-समझकर इसमें पैसे लगाने का फैसला कर पाएंगे. साथ ही लीज में रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस और मेंटेनेंस का चक्कर भी नहीं फंसता.
ऐसी किसी चीज में पैसे फंसाने या उसके लिए बैंक से कर्ज लेने का मतलब नहीं बनता, जिसपर पूरी तरह भरोसा नहीं हो. लीज के जरिए ग्राहकों को लंबे समय तक व्हीकल इस्तेमाल कर के उसकी सारी खूबियां-खामियां समझने का मौका मिल जाता है.
लीजिंग से इलेक्ट्रिक व्हीकल की क्षमता समझने में मदद मिलेगी. अगस्त में लगभग 29 हजार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बिक्री हुई थी, जो जुलाई की सेल्स की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक थी. ICRA का अनुमान है कि नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की हिस्सेदारी 2025 तक 10 प्रतिशत हो जाएगी.
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