इस साल आने वाले मौसमीय घटनाक्रम अलनीनो का असर लंबा रह सकता है. इसकी वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा. साइंस जर्नल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2023 के अलनीनो की वजह से अगले 6 वर्षों के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था को करीब तीन लाख करोड़ डॉलर का नुकसान होगा. अलनीनो की वजह से दुनियाभर में मौसम प्रभावित होता है और भारत में इसकी वजह से मानसून सीजन में सूखा पड़ने की आशंका बढ़ जाती है. इस बार मानसून पर अलनीनो का असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है.
कब कितना असर?
अल-नीनो की वजह से मौसम में आने वाले बदलाव से बाढ़, जंगल में आग की वजह से फसलों की बर्बादी से अरबों डॉलर का नुकसान होगा. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ महीनों या एक साल के भीतर अल-नीनो से अप्रत्यक्ष तौर पर बड़ा नुकसान होगा. ये नुकसान कई लाख करोड़ डॉलर तक भी जा सकता है. अल नीनो का मई से जुलाई 2023 के बीच करीब 80 फीसद असर देखने को मिल सकता है जो जून-जुलाई-अगस्त तक बढ़कर 90 फीसदी तक पहुंच जाएगा. जैसे जैसे यह यह बढ़ेगा उससे बारिश प्रभावित होती जाएगी.
भारत के लिए बड़ा ख़तरा
दरअसल, अल-नीनो के चलते बारिश कम होती है और इसका सीधा असर फसलों पर होता है. यह भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकता है. अल नीनो के चलते भारत सहित दुनिया के कई देशों में आने वाले महीने औसत से कहीं ज्यादा गर्म रह सकते हैं. भारत में भी इसे लेकर हाई अलर्ट है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने इसके लिए चेतावनी जारी करते हुआ कहा है कि आने वाले अल नीनो के लिए दुनिया को पूरी तरह तैयार रहना चाहिए. इससे दुनिया के कई हिस्सों में सूखा, भीषण गर्मी और बाढ़ की स्थिति बनेगी.
क्या है अल नीनो
एल नीनो मौसम से जुड़ी एक ऐसी घटना है जो प्रशांत महासागर में घटती है. ये समुद्र की सतह पर तापमान में होने वाले बदलावों से जुडी है. अल-नीनो तापमान में होने वाली बढ़ोतरी से जुड़ा है, जबकि ला नीना तापमान में आने वाली गिरावट को दर्शाता है. इसका असर लगभग 9 महीने तक रहता है.