अलनीनो की वजह से इस साल अगस्त के दौरान देश में मानसून की बरसात में भारी कमी आई है और अब आशंका जताई जा रही है कि बरसात पर अलनीनो का असर 6 महीने तक रह सकता है. अमेरिका की मौसम एजेंसी क्लाइमेट प्रिडिक्शन सेंटर (सीपीसी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है अलनीनो का असर अगले साल फरवरी तक रह सकता है. ऐसा हुआ तो खरीफ के बाद रबी फसलों पर भी मौसम की मार पड़ सकती है. सीपीसी ने दिसंबर 2023 से लेकर फरवरी 2024 तक अलनीनो का असर बना रहने की संभावना को बढ़ाकर 95 फीसद कर दिया है.
मानसून कमजोर
अलनीनो की अवधि बढ़ने से इस बात के साफ संकेत मिलते हैं कि इस साल मानसून कमजोर है. भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई के दौरान मानसून की बरसात सामान्य से ज्यादा दर्ज की गई थी, जबकि अगस्त में बारिश 32 फीसद कम रही थी. आमतौर पर अलनीनो से एशिया में सूखा और शुष्क मौसम रहता है. समूचे एशिया से आ रही खबरों के मुताबिक मौसम संबंधी घटनाएं घटित होती दिखाई पड़ रही हैं.
भूमध्यरेखीय समुद्र की सतह का तापमान औसत से ज्यादा
सीपीसी ने कहा है कि पिछले 4 हफ्ते के दौरान प्रशांत महासागर, पश्चिमी हिंद महासागर और अटलांटिक महासागर के अधिकांश हिस्सों में भूमध्यरेखीय समुद्र की सतह का तापमान औसत से ऊपर था. पिछले 4 हफ्तों में मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान अधिक था. अमेरिकी मौसम एजेंसी ने कहा है कि सतह का ज्यादा तापमान की विसंगतियां भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के अधिकांश हिस्से पर हावी हैं.