प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों से जुड़े देश के अलग-अलग हिस्सों में 25 ठिकानों पर छापेमारी की. इन कंपनियों पर आरोप है कि गेमिंग ऐप्स की आड़ में ये विदेशी मुद्रा लेनदेन में हेराफेरी कर रही थीं. ED ने ये कार्रवाई विदेशी मुद्रा कानून यानी FEMA violations के तहत की है. इस छापेमारी में आंध्र प्रदेश का 1 , मध्य प्रदेश के 2, महाराष्ट्र के 4, गुजरात के 7 और दिल्ली के 11 ठिकाने शामिल रहे.
कैस घपला कर रही थीं ये कंपनियां?
जांच में ED ने पाया कि भारत से काम कर रहीं ये ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां कुराकाओ, माल्टा और साइप्रस जैसे छोटे द्वीपीय देशों में रजिस्टर्ड हैं. ये कंपनियों ऐसे फर्जी व्यक्तियों के नाम पर खोले गए खाते से जुड़ी हैं जिनका ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं हैं. ये कंपनियां गेमिंग वेबसाइटों और ऐप से जरिए आम लोगों से पैसा इकट्ठा करके इन्हें कई बैंक अकाउंट के जरिए सेवाओं और वस्तुओं के आयात के नाम पर भारत से बाहर भेज रही थीं. ईडी ने कहा इन कंपनियों पर ने सामान और अच्छी सेवाओं के आयात के नाम पर भुगतान की आड़ में 4000 करोड़ रुपए का फ़र्ज़ीवाड़ा किया है.
जांच में क्या मिला?
ईडी ने जांच के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए. इस दौरान दो रिमोट एक्सेस किए गए लैपटॉप भी बरामद हुए हैं जिनका इस्तेमाल रिमोट आधारित सर्वर और सिस्टम का इस्तेमाल करने के लिए किया जाता था. ED ने पाया कि इन लोगों ने सैंकड़ों डमी फर्म बनाईं. इनमें इस्तेमाल किए गए कई आधार कार्ड, पैन कार्ड भी बरामद किए हुए हैं.
क्या है FEMA क़ानून?
भारतीय संसद ने 1999 में ‘FEMA’ (foreign exchange management act) को पारित किया था और 1 जून 2000 को ये देश भर में लागू हुआ था. फेमा बाहरी व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाने और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाया गया था. इस क़ानून के तहत घुड़सवारी, रेसिंग या ऐसे किसी शौक जिससे आय होती है उसे बाहर नहीं भेजा जा सकता है.