E-way Bill: जीएसटी (GST) की चोरी रोकने के लिए सरकार की कवायदें जारी हैं. इसी कड़ी में अब नया कदम उठाया गया है. ई-वे बिल (E-way Bill) को फास्टैग (Fastag) और रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) से जोड़ दिया गया है. इससे सामान ले जाने वाले वाहनों पर निगरानी रखी जा रही है.
इससे GST चोरी पर लगाम लगाना आसान हो गया है. ऐसे में GST विभाग ई-वे बिल से जुड़े सामानों की आवाजाही की रियल टाइम जानकारी रख सकेंगे. यह कदम वाहनों की लाइव ट्रैकिंग में मदद करेगा और GST चोरी का पता लगाएगा.
कर अधिकारियों के ई-वे बिल मोबाइल एप्लिकेशन में अतिरिक्त विशेषताएं जोड़ी गई हैं, जो उन्हें ई-वे बिल प्रणाली का दुरुपयोग करने वाले कर चोरों को पकड़ने में मदद करने के लिए ई-वे बिल और वाहन का रियल-टाइम ट्रैकिंग विवरण प्रदान करेगी.
पता चल जाएगा कितनी गाड़ियां टोल प्लाजा से गुजरीं
विभाग अब यह भी आसानी से पता लगा लेंगे कि बिना ई-वे बिल के माल ढोने वाली कितनी गाड़ियां टोल प्लाजा से गुजरी हैं.
इससे गैरकानूनी तरीके से माल की अंतरराज्यीय स्तर पर होने वाली ढुलाई पर रोक लग सकेगी और GST चोरी में और कमी आएगी. ई-वे बिल के साथ माल ढोने वाली किसी गाड़ी पर शक होने पर GST अधिकारी उसे रास्ते में रुकवा भी सकते हैं, क्योंकि गाड़ी की रियल टाइम जानकारी उनके पास है.
GST के तहत, अप्रैल 2018 से 50,000 रुपये से अधिक मूल्य के माल के अंतर-राज्यीय परिवहन के लिए ई-वे बिल अनिवार्य कर दिया गया है.
हालांकि, सोने को छूट दी गई है. इलेक्ट्रॉनिक तरीके (ई-वे) बिल प्रणाली में, व्यवसायों और ट्रांसपोर्टरों को पूछे जाने पर, GST निरीक्षक के समक्ष ई-वे बिल प्रस्तुत करना होता है.
ई-वे बिल प्रणाली में प्रतिदिन औसतन 25 लाख मालवाहक वाहनों की आवाजाही 800 से अधिक टोलों से होती है. अधिकारी अब उन वाहनों की रिपोर्ट देख सकते हैं जिन्होंने पिछले कुछ मिनटों में बिना ई-वे बिल के टोलों को पार किया है.
साथ ही, राज्य के लिए विशिष्ट वस्तुओं को ले जाने वाले और चयनित टोल को पार करने वाले वाहनों को देखा जा सकता है.