Dragon Fruit: कृषि के क्षेत्र में देश नित्य नए कीर्तिमान बना रहा है. अनाज से लेकर फल सब्जी का देश के दूरदराज हिस्सों में भेजने के साथ ही दूसरे देशों में भी निर्यात लगातार बढ़ रहा है. पिछली ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने बिहार की लीची और असम के कहटल की खूबियों का जिक्र किया था, और बताया था कि कैसे किसान इनका उत्पादन और बिक्री कर एक सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर रहे हैं. किसानी जीवन के इन्हीं बदलते अध्यायों में एक नया पाठ जुड़ा है. देश के महाराष्ट्र राज्य से ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) की पहले खेप शनिवार को दुबई के लिए निर्यात की गई.
वर्तमान में ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) ज्यादातर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पैदा किया जाता है. इसकी खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है और इसे विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. ड्रैगन फ्रूट की तीन मुख्य किस्में है : सफेद गूदा वाला, गुलाबी रंग का फल, लाल गूदा वाला, गुलाबी रंग का फल और सफेद गूदा वाला पीले रंग का फल.
विदेशी प्रजातियों वाले फलों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, फाइबर और खनिज से भरपूर ‘ड्रैगन फ्रूट’, जिसे कमलम भी कहा जाता है, की एक खेप दुबई को निर्यात की गई है. निर्यात के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेप महाराष्ट्र के सांगली जिले के तडासर गांव के किसानों से मंगाई गई थी. इसे एपीडा से मान्यता प्राप्त निर्यातक – मेसर्स के बी में प्रसंस्कृत और पैक्ड किया गया था. ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हाइलोसेरेसुंडाटस है. ड्रैगन फूट प्रमुख रूप से मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम जैसे देशों में पैदा किया जाता है.
पहली बार ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन भारत में 1990 के दशक की शुरुआत में हुआ और इसे घरेलू उद्यानों के रूप में उगाया जाने लगा. विभिन्न राज्यों के किसानों द्वारा खेती के लिए ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल बढ़ने से उसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है.
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने जुलाई 2020 में ऑल इंडिया रेडियो पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम में गुजरात के शुष्क कच्छ क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती का उल्लेख किया था. उन्होंने उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए कच्छ के किसानों को ड्रैगन फूट की खेती के लिए बधाई दी थी.
आपको बता दें, ड्रैगन फूट में फाइबर, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. इसकी यह खासियत किसी व्यक्ति की तनाव से क्षतिग्रस्त होने वाली कोशिकाओं की मरम्मत और शरीर में आई सूजन को कम करने और पाचन तंत्र में सुधार करने में सहायक होती है. चूंकि फल में कमल के समान स्पाइक्स और पंखुड़ियां होती हैं, इसलिए इसे ‘कमलम’ भी कहा जाता है.
एपीडा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, आधारभूत संरचनाओं का विकास, गुणवत्ता विकास और बाजार के विकास पर जोर देता है. इसके अलावा वाणिज्य विभाग विभिन्न योजनाओं जैसे निर्यात योजना के लिए व्यापार बुनियादी ढांचा, बाजार पहुंच आदि के माध्यम से निर्यात का भी समर्थन करता है.
बागवानी फसलों के जरिए किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार प्रयासरत है, हाल ही में कटहल, लीची जैसी फसलों का निर्यात होने के बाद आम की कई किस्मों का निर्यात किया गया है. गिर का प्रसिद्ध केसर आम का स्वाद गुजरात और भारत के अलावा दुनिया के कई देशों में पहले भी चखा जा चुका है. कोरोना महामारी के बावजूद दुनिया में केसर आम के प्रति आकर्षण कम नहीं हुआ. इस साल इटली समेत यूरोपीय देशों को 100 टन केसर आम का निर्यात होने की उम्मीद है. आपको बता दें, हाल ही में तलाला-गिर से 14 टन केसर आम का इटली को निर्यात किया गया है.
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