पूरे देश में तेजी से फैल रही कोरोना की दूसरी लहर से अप्रैल महीने में औद्योगिक गतिविधियां और परिवहन सेवा बुरी तरह प्रभावित हुई है. इसका असर डीजल और पेट्रोल की डिमांड पर भी पड़ा है.
अप्रैल में डीजल की खपत में 10 फीसदी और पेट्रोल में 4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. यह गिरावट कोरोना से ठीक पहले वाली साल यानी अप्रैल 2019 के मुकाबले है. अप्रैल 2019 में पेट्रोल और डीजल की खपत सामान्य स्थिति में थी.
कोविड के कहर का असर
गौरतलब है कि देश में कोविड की दूसरी लहर के फैलने के साथ ही हर दिन 3 लाख से ज्यादा नए केस आ रहे हैं. साथ ही हर दिन इस महामारी से मरने वालों की संख्या 2,000 से ऊपर है.
ऐसे में राज्य सरकारें लॉकडाउन लगाने का सहारा ले रही हैं. इसके चलते लोगों की आवाजाही पर असर पड़ा है. दूसरी ओर, आवश्यक सेवाओं को छोड़कर बाकी इंडस्ट्रीज भी कई जगह पर बंद हैं.
डेटा का तुलनात्मक विश्लेषण 2019 से इसलिए किया गया है क्योंकि मार्च 2020 में लॉकडाउन की घोषणा के बाद अप्रैल 2020 में मांग में 70 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.
मार्च के मुकाबले अप्रैल में गिरी डिमांड
महीना-दर-महीना आधार पर मार्च 2021 के मुकाबले अप्रैल में डीजल की बिक्री में 2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
दूसरी तरफ, अप्रैल में कंजंप्शन में 10 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है. प्री-पैनडेमिक लेवल के मुकाबले अप्रैल में कंजप्शन 95 फीसदी पर रहा.
मार्च के मुकाबले अप्रैल में पेट्रोल खपत में 6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
जेट फ्यूल और LPG की बिक्री भी घटी
अप्रैल 2019 के मुकाबले अप्रैल 2021 में जेट फ्यूल की बिक्री में 39 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि मार्च 2021 के मुकाबले इसमें 11 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है.
भारत LPG गैस का बहुत बड़े पैमाने पर आयात करता है. महीना-दर-महीना आधार पर अप्रैल में इसमें 4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
गौरतलब है कि इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल 66.66 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर इस हफ्ते बंद हुआ है.