अप्रैल के दौरान रबी फसल की कटाई से ग्रामीण क्षेत्रों में सीजनल रोजगार के पर्याप्त अवसर मिलते हैं. इसके बावजूद मनरेगा में काम की मांग में वृद्धि हुई है.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी MGNREGA के तहत काम मांगने वालों की संख्या अप्रैल के दौरान लगातार तीसरे महीने बढ़ी है. काम की मांग पिछले 10 महीने के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई है. अप्रैल के दौरान रबी फसल की कटाई से ग्रामीण क्षेत्रों में सीजनल रोजगार के पर्याप्त अवसर मिलते हैं. इसके बावजूद मनरेगा में काम की मांग में वृद्धि हुई है.
क्या है कारण
मनरेगा में काम की मांग बढ़ने का सबसे बड़ा कारण खेती से जुड़ी गतिविधियों में आई कमी है. ग्रामीण विकास मंत्रालय के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2023 में कम से कम 3.18 करोड़ लोगों ने इस योजना के तहत काम करने का विकल्प चुना जो पिछले महीने की तुलना में 12 फीसद अधिक है. हालांकि साल दर साल आधार पर इस अप्रैल में काम की मांग में तीन फीसदी से ज्यादा की कमी आई. अप्रैल में काम की मांग 2 करोड़ 40 लाख घरों से आई जो जून 2022 के बाद सबसे अधिक है. मार्च के स्तर से यह आंकड़ा करीब सात फीसद ऊंचा है.
आंकड़ों से पता चला है कि ‘व्यक्तिगत’ श्रेणी में, मार्च की अपेक्षा अप्रैल में काम की मांग सबसे ज्यादा पांच राज्यों से आई. इनमें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल हैं.
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “योजना के तहत काम की मांग आम तौर पर गर्मियों के दौरान बढ़ जाती है, क्योंकि खेती से जुड़ा काम धीमा पड़ जाता है. साथ ही, बारिश के मौसम से पहले जल निकायों का निर्माण जैसे मनरेगा से जुड़े काम आदि करने का यह सबसे अच्छा समय है. उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में आमतौर पर जून तिमाही में ही पूरे वित्तीय वर्ष का आधे से ज्यादा श्रम बजट खत्म हो जाता है. बता दें मनरेगा एक मांग आधारित योजना है. रोजगार की मांग करने वाले किसी भी परिवार को योजना के अनुसार एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का अकुशल शारीरिक श्रम प्रदान किया जाता है.