डब्लूटीओ की वार्तायें अब अपने निर्णायक दौर में हैं. डब्लूटीओ वार्ताओं में अभी तक किसी बड़े मुद्दे पर सहमति नहीं बनने के संकेत मिले हैं. बुधवार की शाम तक किसी भी प्रमुख एजेंडे पर गतिरोध टूटता नहीं नजर आया. विकसित और विकासशील देशों ने कृषि को लेकर रियायत के संकेत नहीं दिये हैं. फिशिंग पर सब्सिडी कम करने पर एक राय बनती नहीं दिख रही है. ई कॉमर्स पर सीमा शुल्क से मुक्त रखे जाने को लेकर विकसित अडे़ हैं. भारत इस सुविधा को बढ़ाने के पक्ष में नहीं है.
भारत का सख्त रुख
वार्ताओं में पाले खिंचते देख कर भारत ने सख्त अपना रुख अपना लिया है. भारतीय पक्ष की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि बैठक में जबतक पुराने मुद्दों का हल नहीं निकलता, तब तक नए मुद्दों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए. बहुपक्षीय व्यवस्था को बचाने के लिए विकसित देशों को लचीला रुख अपनाना होगा.
महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर गतिरोध
सूत्रों के मुताबिक चीन, अमेरिका और यूरोपीय समुदाय निशाने पर हैं जिनकी वजह से कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर गतिरोध बना हुआ है. सबसे महत्वपूर्ण कृषि सब्सिडी और अनाज खरीद पर एक राय नहीं बनी है. गुरुवार को वार्ताओं का आखिरी दिन है जिसमें सहमति की कोशिश की जाएगी. हालांकि आसार दिख नहीं रहे हैं.
वादे नहीं होते पूरे
भारत ने कहा है कि WTO की बैठक में जो बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, विकसित देश उनको पूरा नहीं करते. मंत्रिस्तरीय वार्ताओं में बड़े फैसले भी लागू नहीं होते हैं. इस वजह से कम विकसित देशों की ग्रोथ पर असर पड़ता है. विकसित देश डब्लूटीओ की मूल भावना के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं. बहुपक्षीय व्यवस्था में सदस्यों को विशेष सुविधायें दी जाती हैं जिनका विरोध किया जा रहा है.
अपने हितों का रखा ध्यान
भारत का बयान खासा सख्त है जो कहता है कि वैश्विक औद्योगिकरण की यात्रा में विकसित देशों ने हर तरह की पॉलिसी को अपने हितों को देखते हुए तैयार कराया और अब भी वे इसी रास्ते पर चल रहे हैं. विकसित देशों ने जिस राह पर चलकर अपना औद्योगिकरण बढ़ाया है, उस राह पर दूसरों को चलने से रोक रहे हैं.
भारत ने अपने बयान में अल्प विकसित देशों का उल्लेख किया है जिन्हें डब्लूटीओ से निराशा हो रही है. भारत ने कहा कि ग्लोबल ट्रेड की बहुपक्षीय व्यवस्था दोराहे पर है इसे पर्याप्त लचीला बनाये जाने की जरुरत है.