एक तरफ कोविड-19 के मामलों में लगातार उतार-चढ़ाव जारी है, तो दूसरी तरफ R-वैल्यू में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. R-वैल्यू पहले से संक्रमित व्यक्ति से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या को दर्शाता है. कोरोना की दूसरी लहर से हालात संभल ही रहे थे की अब R वैल्यू के बढ़ते मामलों ने चिकित्सा वैज्ञानिकों और सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है. हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि अभी से तीसरी लहर की घोषणा करना जल्दबाजी होगी. फिलहाल कम से कम एक सप्ताह का इंतजार करना होगा उसके बाद ही तीसरी लहर पर कुछ स्पष्ट घोषणा की जा सकती है.
भारत का R-वैल्यू 1.2
चिकित्सा वैज्ञानिकों ने बढ़ते R वैल्यू के बारे में चिंता व्यक्त की. कम से कम 18 जिलों में R-वैल्यू 1 से अधिक है. एक रिपोर्ट के मुताबिक चेन्नई में R वैल्यू 1.2 है. इस सप्ताह जारी हुए हेल्थ मिनिस्टर के आंकड़ों के मुताबिक, भारत का R-वैल्यू 1.2 है. इसका अर्थ है कि इंडिया में 100 संक्रमित लोग करीब 120 लोगों को संक्रमित कर रहे हैं. चूंकि यह एक गणितीय अवधारणा है, इसलिए मान गतिशील होता है. गतिशीलता के कारण यह हर सप्ताह बदलाव को शो करता है.
मार्च में यह लगभग 1.4 था जब मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे थे और मई में जब मामलों में गिरावट शुरू हुई, तो R वैल्यू लगभग 0.7 तक गिर गया. देश भर में तकरीबन 10 स्टेट्स का आर-वैल्यू राष्ट्रीय औसत के हिसाब से 1.01 से अधिक है. दिल्ली और महाराष्ट्र 1.01 पर हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा आर वैल्यू वाला राज्य मध्य प्रदेश (1.31) है. दूसरे नम्बर पर हिमाचल प्रदेश (1.30) और तीसरे स्थान पर नागालैंड (1.09) है.
आर वैल्यू 1 से कम होने पर खतरा कम
1 या एक कम के आर-वैल्यू को सेफ माना जाता है क्योंकि इसका मतलब है कि 100 लोग या तो उतनी ही संख्या में या उससे कम लोगों को संक्रमित कर रहे हैं. यह दर्शाता है कि नए संक्रमणों की संख्या मौजूदा संक्रमणों की संख्या से ज्यादा नहीं है.
यूनाइटेड स्टेट, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया व कुछ और देशों में भी 1.2 आर-वैल्यू है जो बताता है कि नए कोविड संक्रमणों की संख्या में वैश्विक वृद्धि क्यों हो रही है, जिसे एक ताजा लहर की के रूप में देखा जा रहा है.
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