सुप्रीम कोर्ट का मंगलवार को आया फैसला लोन बौरोअर्स के लिए एक बड़ी राहत की तरह से है. इसमें कोर्ट ने कंपाउंड इंटरेस्ट को एडजस्ट करने या इसे रिफंड करने के का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने इसे सभी कर्जदारों के लिए पूरी तरह से माफ कर दिया है. यह आम लोगों और छोटे कारोबारियों के लिए एक बड़ी राहत है.
कोर्ट ने कहा है कि मोरेटोरियम का फायदा उठाने वाले सभी कर्जदारों पर कंपाउंड इंटरेस्ट नहीं लगेगा. कोर्ट ने आदेश दिया है कि मोरेटोरियम की अवधि में लिए गए ब्याज पर ब्याज को बैंकों को एडजस्ट करना होगा.
कोर्ट ने कहा है कि आरबीआई और सरकार की कंपाउंड इंटरेस्ट में माफी के लिए तय की गई 2 करोड़ रुपये के कर्ज की सीमा के पीछे कोई तर्क नहीं है. कोर्ट ने 2 करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्जदारों को भी ये राहत देने के लिए कहा है.
इस बात की पूरी उम्मीद है कि इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA), RBI या सरकार कोर्ट के आदेश को चुनौती दे सकते हैं. इनका मानना है कि ब्याज माफी की राहत केवल छोटे कर्जदारों को ही मिलनी चाहिए.
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल ने एक रिपोर्ट में कहा है कि उनके आकलन के मुताबिक, सभी कर्जों पर ब्याज पर ब्याज माफ करने से बैंकों को 6,800 से 10,600 करोड़ रुपये की चोट लगेगी. इसकी भरपाई सरकार को करनी पड़ेगी जो कि पहले से ही वित्तीय दबाव से गुजर रही है.
रेटिंग एजेंसी इकरा के अनुमान के मुताबिक, इस अतिरिक्त माफी से खजाने को 7,000 से 7,500 करोड़ रुपये की चोट लग सकती है. इसका कहना है कि सभी बैंकों के लिए कंपाउंड इंटरेस्ट छोड़ना इनकी जेब पर 13,500 से 14,000 करोड़ रुपये के बोझ के तौर पर बैठेगा.
एनालिस्ट्स का कहना है कि यह फैसला शॉर्ट टर्म के लिए बैंकिंग सेक्टर पर भारी पड़ सकता है. बैंकों के लिए कंपाउंड इंटरेस्ट कमाई का एक अतिरिक्त जरिया होता है.
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि सभी तरह के ब्याज को माफ करने और मोरेटोरियम को बढ़ाने जैसी दूसरी याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
सरकार ने इससे पहले कोर्ट में कहा था कि अगर वह सभी तरह के कर्जों पर मोरेटोरियम की अवधि में ब्याज माफ करने का विचार करती है तो यह रकम 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बैठेगी.