देश की वैक्सीनेशन ड्राइव तेज रफ्तार पकड़ने में नाकामयाब रही है. इस बीच दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल की हालिया रिपोर्ट जनता की चिताएं और बढ़ा रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैक्सीन की सिर्फ एक खुराक से महामारी का खतरा टालने में बिल्कुल भी मददगार नहीं है.
जनवरी से अप्रैल के बीच वैक्सीन लगवा चुके 4,266 लोगों पर की गई स्टडी इस वक्त खूब चर्चा में है क्योंकि इन दिनों जनता ने फिर से आराम से घर के बाहर निकलना शुरू कर दिया है. सोशल डिस्टेंसिंग से जुड़े नियमों का उल्लंघन भी हो रहा है.
दिल्ली के अस्पताल की स्टडी में कहा गया है, ‘जिन देशों में वैक्सीन की कमी हो रही है, उन्हें सबको पूरी तरह से वैक्सीनेट करने के तरीके निकालने होंगे. उन्हें प्राथमिकता दी जा सकती है, जो अब तक इंफेक्शन की चपेट में नहीं आए हैं. वैक्सीन की एक डोज पर निर्भर करना सही नहीं होगा.’
सरकार और स्वास्थ्य कर्मियों के बार-बार अपील करने के बावजूद कइयों का अब भी मानना है कि मास्क पहनना जरूरी नहीं. हालांकि, रिपोर्ट में एक अच्छी बात यह बताई गई है कि कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोग वायरस से उच्च स्तर तक सुरक्षित हैं.
मुश्किल वक्त से निकलने का एकमात्र रास्ता टीकाकरण है. दूसरी लहर का गंभीर प्रभाव हम झेल चुके हैं. तीसरी लहर में भी वैसे हालात न बनें, इसके लिए सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ाई जाए.
सरकार को दो डोज के बीच तय किए गए 84 दिनों के गैप पर भी फिर से विचार करना चाहिए. उत्पादन के स्तर पर हो रहीं कमियों को भी पूरा करना होगा. वैक्सीन बिना किसी अड़चन के सब तक पहुंच सकें, इसपर जोर देना होगा.
दिल्ली के अस्पताल की रिपोर्ट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय को खुद भी एक स्टडी करनी चाहिए, ताकि यह पताया लगाया जा सके कि सिंगल डोज का वायरस के खिलाफ असल में कोई फायदा है भी या नहीं.
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