कोरोना काल (Covid-19) में सभी लोग परेशान हैं. इस समय लोग ज्यादा से ज्यादा आर्थिक बचत करने की सोच रहे हैं. इसी का नतीजा है कि एलपीजी की खपत भी अब पहले की तुलना में कम हो रही है.
इसकी वजह ये है कि ज्यादातर देशवासियों ने कोरोना महामारी (Covid-19)के चलते अपने खर्चों में कटौती की है. इसी के चलते अब वह खाना भी कम बना रहे हैं.
सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि LPG सिलेंडर की खपत गिरकर बीते वर्ष देशव्यापी तालाबंदी के बाद अप्रैल 2020 के स्तर के करीब पहुंच गई है.
पेट्रोलियम मंत्रालय की एक शाखा, पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले महीने LPG की खपत 2,114,000 टन थी, जबकि पिछले साल अप्रैल में यह 2,112,000 टन थी.
देश भर के अधिकांश लोग कोरोना संक्रमण (Covid-19) के दूसरे दौर में अनावश्यक खर्च में कटौती कर रहे हैं. अप्रैल 2021 का आंकड़ा पिछले 13 महीनों में दूसरा सबसे निचला स्तर दिखा रहा है. इसके पहले बीते वर्ष 2020 के जून माह में ही खपत कम होकर 2,063,000 टन रही थी.
इसके पहले खपत के दो उच्चतम स्तर बीते साल दिसंबर और इस साल जनवरी माह में दर्ज किए गए थे. ये आंकड़े क्रमशः 2,529,000 और 2,493,000 टन थे.
हालांकि, इस ज्यादा डिमांड को सर्दियों में गर्म पानी और दूसरी जरूरी जरूरतों की वजह माना जा रहा है. अप्रैल 2021 के आंकड़े पिछले साल दिसंबर में खपत से 16.4% कम हैं. वहीं पिछले महीने की खपत भी वित्त वर्ष 2021 में LPG की औसत मासिक खपत 2,299,250 से 8% कम है.
कोलकाता में एक घरेलू सहायिका लीला शॉ ने बताया कि 2020 में कुछ महीनों के लिए उनके पास काम नहीं था. इसी के चलते उन्हें अपने जरूरी खर्चों में भी कटौती करनी पड़ी. बताया कि वह दो बार की बजाय दिन में एक बार ही खाना बनाती थीं. इस साल अप्रैल के बाद से उन्होंने दोबारा रसोई का कम उपयोग शुरू कर दिया है.
ऑयल सेक्रेटरी ने फरवरी माह के आखिर में मीडिया को बताया था कि सफल उज्ज्वला योजना के बाद देश में ऐसे घर बेहद कम हैं जहां LPG न हो. देश में LPG उपभोक्ताओं की संख्या करीब 29 करोड़ है. केंद्र ने 2 साल में 1 करोड़ और मुफ्त LPG कनेक्शन देने की योजना बनाई है.
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