यूरोपीय संघ को निर्यात किए जाने वाले इस्पात, सीमेंट और हाइड्रोकार्बन जैसे सात क्षेत्रों के लिए भारतीय कंपनियों को अपने कार्बन उत्सर्जन के बारे में बताना होगा. यूरोपीय संघ (ईयू) की कार्बन कर व्यवस्था के प्रावधानों के तहत एक अक्टूबर से ऐसा करना जरूरी है. ईयू के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) का अनुपालन दो भाग में किया जाना है. इसके तहत अक्टूबर से कंपनियों को अपने उत्सर्जन के आंकड़े देने होंगे और बाद में 2026 से कर लगाया जाएगा.
सीबीएएम के तहत एक जनवरी, 2026 से यूरोपीय संघ में चुनिंदा आयात पर 20-35 प्रतिशत कर लागू होगा. शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि उत्सर्जन के आंकड़े तिमाही आधार पर देने होंगे और आयातकों को पहली तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2023) के आंकड़े 31 जनवरी, 2024 तक जमा करने होंगे.
ऐसे में भारतीय कंपनियों को इस तारीख से बहुत पहले आयातकों के साथ यूरोपीय संघ द्वारा निर्धारित प्रारूप में उत्सर्जन के आंकड़े साझा करने होंगे. यूरोपीय संघ ने आंकड़े न देने या अधूरे आंकड़े देने के लिए सख्त दंड का प्रस्ताव दिया है, जिससे कई मझोली और छोटे आकार की कंपनियों के लिए चुनौतियां पैदा हो सकती हैं.