Chip Shortage: पीक फेस्टिव सीजन से पहले, भारत के यात्री वाहन निर्माता चिप की कमी से उत्पादन में बाधा का सामना कर रहे हैं. यात्री वाहन निर्माताओं के पास करीब 500,00 यूनिट की बुकिंग है, लेकिन वो इसकी सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं. चिप की कमी कंपनियों को अपनी उत्पादन योजनाओं को बार-बार बदलने और की सेमीकंडक्टर की उपलब्धता के आधार पर निर्मित किए जा सकने वाले वेरिएंट को ही बनाने के लिए मजबूर कर रही है. बिजनेस स्टैंडर्ड ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है.
मैन्युफैक्चरर्स ने कहा कि बुकिंग संख्या मांग का सही प्रतिबिंब नहीं है. लंबी प्रतीक्षा अवधि के कारण, खरीदार कई ब्रांडों की बुकिंग कर रहे हैं, और यह सब बिक्री में तब्दील नहीं होगी.
एक कार निर्माता के एक कार्यकारी ने कहा कि एक खरीदार तीन अलग-अलग ब्रांडों के मॉडल बुक कर सकता है, लेकिन अंततः वह केवल एक ही खरीदेगा.
बुकिंग की इतनी ज्यादा संख्या दुनिया के पांचवें सबसे बड़े ऑटो बाजार में डिमांड और सप्लाई के अंतर को इंगित करती है. ये स्थिति और भी ज्यादा खराब हो सकती है क्योंकि अधिक खरीदारों की नवरात्रि, दशहरा और दिवाली के शुभ दिनों से पहले वाहन बुक करने की उम्मीद है.
कार मार्केट लीडर मारुति सुजुकी इंडिया बैकलॉग में सबसे ज्यादा योगदान दे रही है. फर्म के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (सेल्स एंड मार्केटिंग) शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि ब्रेज़ा और ऑल्टो मॉडल की करीब 210,000 यूनिट की बुकिंग है.
चिप संकट ने मारुति को सितंबर और अक्टूबर में क्रमशः 60 प्रतिशत और 40 प्रतिशत की भारी उत्पादन कटौती करने के लिए मजबूर किया.
श्रीवास्तव ने कहा, ‘आमतौर पर, मैन्युफैक्चरर श्राद्ध अवधि के दौरान चैनलों पर स्टॉक बनाते हैं. नवरात्रि और दिवाली के दौरान मजबूत खुदरा मांग को देखते हुए ऐसा किया जाता है. लेकिन इस बार, चैनलों को भरना मुश्किल हो रहा है क्योंकि आपूर्ति की तुलना में मांग कहीं अधिक है.’
हुंडई मोटर इंडिया की स्थिति थोड़ी सी बेहतर है. कोरियाई कार निर्माता के पास 100,000 ग्राहक हैं जो अपनी कारों की डिलीवरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
फर्म में सेल्स और मार्केटिंग के डायरेक्टर तरुण गर्ग ने कहा कि मॉडल या वैरिएंट की मैन्युफैक्चरिंग में प्लांट में फ्लेक्सिबिलिटी की हाई डिग्री ने कंपनी को शटडाउन से बचने में मदद की है.
गर्ग के अनुसार, ज्यादा सुविधाओं से लैस कार के हाई मॉडल्स की प्राथमिकता भी शॉर्टेज को बढ़ा रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इन मॉडल्स की मैन्युफैक्चरिंग में सेमीकंडक्टर की ज्यादा मात्रा का उपयोग होता है.
टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, मर्सिडीज बेंज और एमजी मोटर्स भी इसी तरह की स्थिति का सामना कर रही है. इन सभी फर्मों में मॉडलों की प्रतीक्षा अवधि तीन महीने से लेकर 12 महीने की है.
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