कुछ कंपनियों में तो तेजी के सर्किट तक लग गए हैं. निर्यात की संभावनाओं ने निवेशकों और कारोबारियों के मुनाफे के दरवाजे खोल दिए. चीनी उद्योग के संगठन इस्मा ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल देश से चीनी निर्यात 85 लाख टन तक पहुंच सकता है. ऐसा हुआ तो देश से निर्यात का नया रिकॉर्ड बनेगा. चीनी सीजन 2021-22 के 6 महीने बीत चुके हैं. 6 महीनों में करीब 72 लाख टन चीनी निर्यात के सौदे हो चुके हैं और उसमें करीब 57 लाख टन का एक्सपोर्ट हो भी चुका है.
अब समझिए ऐसा हुआ क्यों?
चीनी के सबसे बड़े निर्यात देश ब्राजील में इस साल उत्पादन करीब 65 लाख टन घटने का अनुमान है. दूसरे बड़े निर्यातक थाईलैंड में पिछले साल कम चीनी पैदा हुई थी. जिस वजह से वहां भी स्टॉक कम है. लेकिन भारत में पिछले कुछ वर्षों से उत्पादन खपत के मुकाबले अधिक हो रहा है. इस साल भी खपत के मुकाबले अधिक चीनी पैदा होने का अनुमान है. यही वजह है कि भारत के पास भारी मात्रा में चीनी का स्टॉक पड़ा हुआ है. और यही बढ़ा हुआ स्टॉक अब चीनी निर्यातकों के लिए मौका बनकर आया है.
चीनी वर्ष 2021-22 जब पहली अक्टूबर को शुरू हुआ था तो पुरानी चीनी का लगभग 82 लाख टन स्टॉक बचा हुआ था. उद्योग ने इस साल देश में लगभग 315 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है. यानी पुराना स्टॉक मिलाकर पूरे सीजन में 397 लाख टन चीनी की सप्लाई होगी. वहीं घरेलू खपत औसत 270 लाख टन रह सकती है. यानि खपत पूरी होने के बाद 127 लाख टन चीनी बची रह जाएगी.
यही बची हुई चीनी अब एक्सपोर्ट में फायदा दे रही है. और एक्सपोर्ट मार्केट में भारत की पकड़ मजबूत बना रही है. फिलहाल भारत दुनिया में चीनी का तीसरा बड़ा निर्यातक है. लेकिन इस बार अगर निर्यात 85 लाख टन तक पहुंचा तो थाईलैंड को पीछे कर दूसरा बड़ा निर्यातक भी बन सकता है. हालांकि इसके दूसरे पहलू को भी ध्यान रखना होगा.
गर्मियां शुरू होते ही देश में चीनी की खपत बढ़ जाती है और कमाई के चक्कर में निर्यातकों ने अगर ज्यादा चीनी निकाल दी, तो घरेलू बाजार में चीनी महँगी हो सकती है. फिलहाल बाजार में चीनी की कीमतें 41 रुपए प्रति किलो के पास स्थिर हैं.