रक्षा बंधन और ओणम के साथ त्योहारों का मौसम शुरू हो गया है. त्योहारों का मौसम अक्टूबर-नवंबर में चरम पर होगा. इसके बाद कुछ हफ्ते यह सीजन धीमा पड़ेगा और फिर क्रिसमस व नववर्ष के लिए शुरू होगा. यही वह समय है, जब लोग सबसे अधिक पैसा खर्च करते हैं. इस त्योहारी सीजन में लोगों द्वारा अधिक मात्रा में खर्च किया गया पैसा अर्थव्यवस्था में एक जान फूंक देता है.
त्योहारी सीजन के दौरान कंज्यूमर ड्यूरेबल्स से लेकर पर्सनल केयर आइटम, वाहनों से लेकर परिधानों तक सभी उत्पाद श्रेणियों की बिक्री कई फर्मों के वार्षिक राजस्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. अर्थशास्त्रियों से लेकर सरकारों तक, नीति निर्माताओं से लेकर कॉर्पोरेट रणनीतिकारों तक कई लोग उपभोक्ता विश्वास सूचकांक की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
दूसरी कोविड लहर के कारण गिरावट के बाद, उपभोक्ता विश्वास धीरे-धीरे फिर से बढ़ रहा है. नीति निर्माता राहत की सांस ले रहे हैं, क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था में कुल मांग में वृद्धि होगी और कारोबारियों के चेहरे पर मुस्कान आएगी. साथ ही यह देश में उद्योगों और रोजगार में नई क्षमताओं के निर्माण को प्रेरित करेगा. ईपीएफओ के आंकड़ों से पता चलता है कि औपचारिक क्षेत्र में नई नौकरियां पैदा हो रही हैं और इसमें तेजी आ सकती है.
हालांकि, इस वर्ष भी त्योहारों को सावधानी के साथ मनाने की आवश्यकता है. लोगों को कोविड प्रोटोकॉल तोड़ने से बचना चाहिए. तीसरी लहर कभी भी दस्तक दे सकती है. यदि कोरोना महामारी की पहले जैसी स्थिति फिर से आती है, तो यह मंदी का कारण बनेगी और आय को प्रभावित करेगी. इस साल अपने खर्चों पर थोड़ी लगाम लगाना और आपातकाल की स्थिति के लिए बचत करना समझदारी हो सकती है. त्योहार मनाते समय भी सतर्क रहें और संयम बरतें. भीड़ और बेलगाम आवाजाही एक बार फिर महामारी को आमंत्रित कर सकती है. हम वायरस के व्यवहार के रहस्यों को अभी नहीं जान पाए हैं. इसलिए हम अपने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मार सकते.