हर कैबिनेट फेरबदल (cabinet reshuffle) में दो तत्व शामिल होते हैं- प्रशासनिक होता है और दूसरा राजनीतिक. ज्यादातर राज्यों और हाशिये पर मौजूद तबके को प्रतिनिधित्व देने के साथ ही राजनीतिक समीकरण बैठाना एक आम चीज होती है. हालांकि, बुधवार को अपनी टीम में एक बड़ा बदलाव के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साफ संदेश दिया है कि उनके लिए सबसे ऊपर परफॉर्मेंस है.
इसकी सबसे बड़ी मिसाल स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद और सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर के इस्तीफे हैं. ये सभी किसी न किसी गलत वजह से सुर्खियों में रहे हैं. पीएम मोदी ने कैबिनेट से कुल 12 मंत्रियों की छुट्टी की है.
कैबिनेट विस्तार (cabinet reshuffle) का एक बड़ा फीचर ये है कि इसमें ऐसे कई नए चेहरों को शामिल किया गया है जिनका प्रशासन में पहला अनुभव होगा. नए टैलेंट को साथ जोड़ने का मतलब है कि प्रधानमंत्री बेहतर गवर्नेंस के लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं.
इतने बड़े पैमाने पर कैबिनेट विस्तार और फेरबदल (cabinet reshuffle) के बावजूद उनकी टीम की औसत उम्र घटकर 60 से 58 साल पर आ गई है. ऐसे कई कैबिनेट मंत्री हैं जो कि अभी 50 साल के भी नहीं हुए हैं. कई तो पहली दफा सांसद बने हैं. कैबिनेट के सबसे युवा सदस्य की उम्र महज 35 साल है. सात सदस्यों को उनके प्रदर्शन के लिए प्रमोट किया गया है.
मोदी के गवर्नेंस के वादे पर भरोसा करके ही लोगों ने उन्हें सत्ता सौंपी है. बुधवार का कदम इस मोर्चे पर उनके सामने आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए ही उठाया गया है. लोगों की सेवा करने की नीति का एक सबसे अच्छा तरीका परफॉर्मेंस के मोर्चे पर खरे नहीं उतर रहे लोगों के साथ कतई रियायत न बरतना है.
बुधवार का कैबिनेट फेरबदल (cabinet reshuffle) हाई लेवल ड्रामे और सरप्राइज से भरा हुआ था. हालांकि, इसमें मूल मंत्र यही था कि या तो आप परफॉर्म करें या फिर बाहर जाएं.
मौजूदा वक्त में देश जिस चुनौती से गुजर रहा है उसमें प्रधानमंत्री का ये मंत्र बिलकुल उचित दिखाई देता है.