आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक कुंदापुर वामन कामथ को भारत में समान मासिक किश्तों (EMI) को लोकप्रिय बनाने के लिए व्यापक रूप से श्रेय दिया जाता है. महामारी के प्रकोप से उबरने के लिए संघर्ष कर रही अर्थव्यवस्था के इस समय में उनके प्रयासों के महत्व को हर दिन महसूस किया जा रहा है. ईएमआई के माध्यम से भारी संख्या में लोग नकदी को बचाकर रख रहे हैं और इसके बावजूद अपनी जरूरतों और इच्छाओं दोनों को संतुष्ट कर रहे हैं. अर्थव्यवस्था में रिकवरी उपभोक्ता खर्च में बढ़ोत्तरी पर निर्भर है. वहीं, यह कंज्यूमर कॉन्फिडेंस पर निर्भर करता है. इस महामारी के समय में कंज्यूमर काॉन्फिडेंस काफी प्रभावित हुआ है. जिन लोगों के पास पर्याप्त नकदी भी है, तो वे इसे आपात परिस्थितियों के लिए बचाकर रखना चाहते हैं.
जहां तक कंज्यूमर कॉन्फिडेंस का सवाल है, रेटिंग एजेंसियां ज्यादा आशावादी नजर नहीं आ रही हैं. इस हफ्ते रेटिंग एजेंसी फिच ने 2021 में खर्च के अनुमान को जून के 9.1% से घटाकर 8.9% कर दिया. वहीं, 2020 में महामारी ने भारतीय घरेलू खर्च को 9.3% तक कम कर दिया. जून के पहले सप्ताह में आरबीआई ने बताया कि “वर्तमान स्थिति सूचकांक” 48.5 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है. तो क्या “फ्यूचर एक्सपेक्टेशन इंडेक्स” मार्च के 108.8 से मई में 96.4 हो गया. आरबीआई के सर्व में 100 वह स्तर है, जो निराशावाद से आशावाद का प्रतीक है.
आम आदमी के जीवन में आने वाली वित्तीय अनिश्चितताओं के बीच ईएमआई एक सहारे की तरह है. जीरो इंटरेस्ट ईएमआई से कई तरह की चीजों पर उपभोक्ता खर्च बढ़ रहा है. उपभोक्ता तेजी से क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और एनबीएफसी के माध्यम से ईएमआई का विकल्प चुन रहे हैं. यह नकदी बचाने का एक पसंदीदा तरीका बनता जा रहा है और विशेष रूप से जेड जनरेशन की आबादी तेजी से इसे अपना रही है. उपभोक्ता व्यवहार में इस बदलाव से BNPL इंडस्ट्री का तेजी से विकास भी हो रहा है.
डिजिटल भुगतान कंपनी Ezetap ने पिछले साल के महामारी की चपेट वाले महीने फरवरी 2020 की तुलना में इस साल जुलाई में ईएमआई वॉल्यूम में 220% की तेजी दर्ज की है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, आवर्ती भुगतान, जिसमें ईएमआई भी शामिल है, वह पिछले साल अप्रैल में 35,351.11 करोड़ रुपये के 4.13 करोड़ लेनदेन से बढ़कर इस साल जुलाई में 61,303.46 करोड़ रुपये के 5.77 करोड़ लेनदेन हो गया. अगर इस साल अर्थव्यवस्था में सुधार होता है और कंपनियां आने वाले त्योहारी सीजन में काफी अधिक बिक्री दर्ज करती हैं, तो उन्हें बीएनपीएल कल्चर का आभारी होना चाहिए.
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