धान का कटोरा कहलाने वाले छत्तीसगढ़ और उसके विशाल भू-भाग पर अन्न उपजाने वाले किसान, इन दिनों बहुत प्रसन्न है। किसानों के जीवन में उन्नति और अच्छी आय की मिठास जो घुल गई है. दरअसल, इन दिनों राज्य में चल रही ‘मीठी क्रांति’ से ही यह संभव हुआ है. इसके तहत मधुमक्खी पालन (Bee keeping) कर, शहद के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाता है. मधुमक्खी पालन (Bee keeping) को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित भी किया जाता है. बताना चाहेंगे, राज्य में बीते दो वर्षों में 13 जिलों के अनेकों किसानों ने मधुमक्खी पालन (Bee keeping) के व्यवसाय को अपनाया है और अच्छी आमदनी हासिल कर रहे हैं. सरकार भी मीठी क्रांति में सहभागी बने किसानों को भरपूर सहायता उपलब्ध करवा रही है.
वर्ष 2020-21 में उद्यानिकी विभाग के राष्ट्रीय बागवानी योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के 13 जिलों के अनेकों किसान तथा स्व सहायता समूह के सदस्यों ने मधुमक्खी पालन (Bee keeping) व्यवसाय को अपनाया है. सरगुजा संभाग के 5 जिले के साथ रायपुर, गरियाबंद, जगदलपुर, कोण्डागांव, कोरबा, रायगढ़, राजनांदगांव एवं कबीरधाम जिलों के 474 कृषकों को उद्यानिकी विभाग द्वारा मधुमक्खी पालन (Bee keeping) के लिए 12,150 कॉलोनी (बक्से), 12,150 हाईब्स एवं 243 उपकरण वितरित उपलब्ध कराए गए हैं. राष्ट्रीय बागवानी योजना के तहत मधुमक्खी पालन के लिए प्रत्येक कृषक को अधिकतम 50 बक्से दिए जाने का प्रावधान है.
सरगुजा संभाग अंतर्गत बीते वर्ष 349 कृषकों को इस योजना के तहत 6,500 बक्से बांटे गए. मधुमक्खी पालन (Bee keeping) व्यवसाय के मामले में सरगुजा जिले के मैनपाट विकासखंड के कुनिया आदर्श गोठान से जुड़ी सितारा महिला स्व सहायता समूह ने बीते एक साल में 134 किलो शहद का सफलतापूर्वक उत्पादन किया है.
समूह की अध्यक्ष शिव शांति यादव ने बताया कि उनके समूह से कुल 10 महिलाएं जुड़ी हैं. समूह को उद्यानिकी विभाग से गत वर्ष 50 बक्से वितरित किये गए थे. समूह को शहद विक्रय से 67 हजार रुपए की आमदनी हो चुकी है.
सरगुजा जिले के उप संचालक उद्यानिकी कैलाश सिंह पैकरा ने बताया कि समूह से जुड़ी महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर थीं एवं इनके पास आय का कोई जरिया नहीं था. उद्यानिकी विभाग समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण और मधुमक्खी पालन के लिए 50 बक्से दिए गए, जिससे इन्हें अब आय का बेहतरीन जरिया मिल गया है. सितारा समूह की सफलता को देखते हुए अन्य ग्रामीण महिलाएं एवं कृषक भी मधुमक्खी पालन व्यवसाय को अपनाने लगे हैं.
सरगुजा जिले में बीते वर्ष स्व सहायता समूहों और कृषकों द्वारा लगभग 500 किलो शहद का उत्पादन किया गया. इस साल भी बड़ी संख्या में कृषक एवं समूह मधुमक्खी पालन कर रहे हैं, जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी होगी. यह व्यवसाय को खेती किसानी से जुड़े लोग या फिर बेरोजगार लोग अपनाकर अच्छी खासी आमदनी अर्जित करने लगे हैं. किसानों की आय बढ़ाने, निर्यात को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन बढ़ाने में मधुमक्खी पालन व्यवसाय काफी मददगार है.
विशेषज्ञों के अनुसार इस व्यवसाय को कम लागत में खेतों के मेड़ों के किनारे, तालाब के किनारे आदि जगहों पर किया जा सकता है. जिन किसानों की जोत छोटी है, वह खेती-बाड़ी के साथ-साथ मधुमक्खी पालन व्यवसाय को आसानी से कर सकते हैं. मधुमक्खी पालन को आधुनिक और वैज्ञानिक विधि से शुरुआत करनी चाहिए, जिससे शुद्धता के साथ शहद का उत्पादन किया जा सके. उद्यानिकी विभाग द्वारा वैज्ञानिक विधि से मधुमक्खी पालन को लेकर जागरूकता और क्षमता निर्माण प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है.
उद्यानिकी संचालक माथेश्वरन वी. ने बताया कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन के साथ-साथ निकट भविष्य में राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के तहत भी मधुमक्खी पालन (Bee keeping)में कार्य किया जाएगा. इसके लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम) को 500 करोड़ रुपये के आवंटन की स्वीकृति मिली है, जिसकी कार्ययोजना तैयार की जा रही है.
(प्रसार भारती न्यूज सर्विस इनपुट के साथ)
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।