Atal Progress-Way: कहते हैं कि जब शहरों से ग्रामीण इलाकों को जोड़ने वाली सड़कें बिछ जाएं तो विकास के तमाम रास्ते खुद-ब-खुद खुल जाते हैं. इन दिनों ऐसा ही कुछ नजारा मध्य प्रदेश में देखने को मिल रहा है. दरअसल, इन दिनों मध्य प्रदेश में ‘अटल प्रोग्रेस-वे’ का कार्य तेजी से चल रहा है, जो आगामी दिनों में कई पिछड़े इलाकों का भाग्य बदलेगा. जी हां, ग्वालियर-चंबल अंचल में विकास के नए आयाम गढ़ने में यह कदम सार्थक सिद्ध होने वाला है. जिस तेजी के साथ इस प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू हुआ है, उसे देखकर लग रहा है कि जल्द ही यह मूर्त रूप ले लेगा और न केवल मध्य प्रदेश के तमाम लोगों के लिए रोजगार मुहैया कराने का माध्यम बनेगा बल्कि इस राज्य से लगे राजस्थान, उत्तर प्रदेश के हजारों लोगों को इसके चालू होते ही अनेक नए रोजगार के अवसर मुहैया हो जाएंगे.
इसके विस्तार को लेकर बता दें कि यह अटल प्रोग्रेस-वे उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से लेकर राजस्थान के कोटा जिले तक 360 किलोमीटर लंबा मार्ग तैयार किया जाएगा. यह प्रोग्रेस-वे 312 किलोमीटर मध्य प्रदेश के मुरैना, भिंड, श्यौपुर जिले के 153 गांवों से गुजरेगा. साथ ही 30 किलोमीटर राजस्थान और 18 किलोमीटर उत्तर प्रदेश राज्य में गुजरेगा. 100 फीट चौड़ा, फोरलेन मेगा हाइवे होगा. 100 किमी रफ्तार से वाहन चले, ऐसा डिजाइन बनेगा. इस परियोजना के लिए तीन हजार 55 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है. परियोजना के अंतर्गत सात पुल और दो आर.ओ.बी. का निर्माण प्रस्तावित है.
इसे लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि प्रदेश के औद्योगिक विकास और रोजगार के नए अवसर सृजित करने तथा नए नगरीय क्षेत्रों के विकास के लिए यह परियोजना दूरगामी निवेश है. यह परियोजना प्रदेश की प्रगति को नए आयाम देगी, उनका कहना है कि आज उत्तर भारत में बन रही परिस्थितियों के कारण ग्वालियर-चंबल का औद्योगिक पोटेंशियल बढ़ रहा है.
बता दें, मुख्यमंत्री शिवराज ग्वालियर-चंबल संभाग में विकसित होने वाले ‘अटल प्रोग्रेस-वे’ के कार्य को युद्ध स्तर पर पूर्ण किए जाने को लेकर अधिकारियों को पहले ही निर्देशित कर चुके हैं. उन्होंने परियोजना में भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही को तेजी से पूर्ण किए जाने के साथ ही कहा है कि प्रयास यह हो कि परियोजना निर्माण में अधिक से अधिक शासकीय भूमि का उपयोग हो. निजी भूमि अधिग्रहण में भूमि के बदले भूमि देने के विकल्प पर प्राथमिकता से कार्य किया जाए. साथ ही वे कह चुके हैं कि अटल प्रोगेस-वे के निर्माण में घड़ियाल अभयारण्य को सुरक्षित रखा जाए.
लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव का इस प्रोजेक्ट को लेकर कहना है कि ग्वालियर-चंबल अंचल के विकास की मुख्य धारा बनने वाले अटल प्रोग्रेस-वे को मूर्त रूप प्रदान करने का कार्य तेजी से किया जा रहा है. तय समय से लगभग चार माह पूर्ण डीपीआर बनाने का कार्य पूर्व कर लिया गया है. जल्द ही भिंड, मुरैना और श्यौपुर में भू-अर्जन, वन-राजस्व की एनओसी सहित अन्य कार्यों को भी पूरा कर लिया जाएगा.
मंत्री भार्गव बताते हैं कि प्रदेश सरकार ने मध्य प्रदेश की सीमा में पड़ने वाली डेढ़ हजार हेक्टेयर भूमि सड़क विकास प्राधिकरण को हस्तांतरित कर दी है. 284 हेक्टेयर वन भूमि से अनापत्ति के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया है. तीन जिलों में 1250 हेक्टेयर निजी भूमि के लिए किसानों से सहमति का कार्य किया जा रहा है.
यह क्षेत्र दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस- वे, ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर, आगरा-कानपुर हाइवे के मध्य स्थित है. इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यह क्षेत्र उत्कृष्ट औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित किए जाने की योजना मध्य प्रदेश सरकार की है. दरअसल, दिल्ली तथा आसपास के राज्यों में बन रही परिस्थितियों के परिणाम स्वरूप इस क्षेत्र का औद्योगिक पोटेंशियल बढ़ रहा है. भिंड में लॉजिस्टिक हब, मुरैना में मल्टी प्रोडेक्ट औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने और श्योपुर में कृषि आधारित गतिविधियों को प्रोत्साहित करने की योजना का यह अहम हिस्सा भविष्य में बनकर सामने आएगा.
कहना होगा कि चंबल के बीहड़ों से गुजरने वाला यह “अटल एक्सप्रेस वे” चंबल वासियों के लिए विकास की सौगात लेकर आ रहा है. अटल एक्सप्रेस वे बनने के बाद चंबल के लोगों को विकास की मुख्यधारा से और तेजी के साथ जोड़ना आसान हो जाएगा. एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ बड़े-बड़े उद्योग लगाए जाना प्रस्तावित है, साथ ही चंबल इलाके के लोगों को छोटे उद्योग स्थापित करने के लिए सरकार की तरफ से मदद की जाएगी.
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