पुरातात्विक स्थल (Archaeological Site) मानव सभ्यता की विकास यात्रा को दर्शाते हैं. पुरातात्विक स्थल (Archaeological Site) का मतलब वे स्थान या स्थानों का समूह है, जहांं इतिहास में बीती हुई घटनाओं व जीवन के चिन्ह मिले हों. इन प्राचीन अवशेषों से हम अपने अतीत का परिचय पाते हैं. पुरातात्विक स्थलों (Archaeological Site) की महत्ता को देखते हुए केंद्र सरकार के अंतर्गत संस्कृति मंत्रालय ने देश भर से ऐसे पांच ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के स्थानों का चयन किया है, जिसे विकसित किया जाएगा. यहां राष्ट्रीय संग्रहालय बनाएं जाएंगे. चयनित पांच स्थलों में हस्तिनापुर (उत्तर प्रदेश), राखीगढ़ी(हरियाणा), शिवसागर (असम), धोलीवारा (गुजरात) और अदिचनल्लूर (तमिलनाडु) शामिल है.
राष्ट्रीय संग्रहालय की स्थापना और विकास कार्यों के लिए पूंजी का प्रावधान संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने बताया कि बजट 2020 – 21 में पुरातत्वीय संग्रहालय – लघु कार्य के तहत 20 करोड़ रुपए आवंटित किए गए. प्रमुख कार्य के लिए 35 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं. वहीं, पुरातत्वीय अन्वेषण और उत्खनन प्रभार के तहत 5.10 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया. इन पूंजी के माध्यम से चयनित पांच स्थलों में विभिन्न प्रकार के विकास कार्य किए जाएंगे और संग्रहालयों की भी स्थापना होगी. देश भर में जिन पांच स्थलों का चयन किया गया है, आइये आपको उनका पुरातात्विक महत्व बताते हैं –
महाभारतकालीन नगर हस्तिनापुर उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित हस्तिनापुर महाभारत काल में पांडवों एवं कौरवों की प्राचीन राजधानी थी. विभिन्न पुराणों में भी इस नगर का उल्लेख मिलता है. हस्तिनापुर के कुछ प्रमुख स्थल में विदुर टीला, द्रौपदी घाट,पांडेश्वर मंदिर और कर्ण मंदिर प्रमुख है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वर्ष 1952 में हस्तिनापुर में उत्खनन किया था और इसमें तीर, भाला, चिमटा, हुक, कुल्हाड़ी, चाकू आदि मिले थे. जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी हस्तिनापुर पवित्र स्थल है. यहाँ स्थित श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जबकि अन्य मंदिरों में जंबूद्वीप जैन मंदिर, श्वेतांबर जैन मंदिर, प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर और अष्टपद जैन मंदिर भी है. हस्तिनापुर को पंच प्यारे भाई धर्म सिंह के जन्मस्थान के रूप में भी जाना जाता है जो गुरु गोविंद सिंह (दसवें सिख गुरु) के शिष्य थे.
हड़प्पा सभ्यता का नगर राखीगढ़ी राखीगढ़ी हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है. यह हड़प्पा सभ्यता के मुख्य शहरों में से एक है. इसे सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है. यह लगभग 2,500 ईसा पूर्व में यह समकालीन पाकिस्तान और पश्चिमी भारत में विकसित हुई. वर्ष 1920 के दशक में भारतीय पुरातत्त्व विभाग ने सिंधु घाटी में खुदाई की जिसमें दो पुराने शहरों मोहनजोदाड़ो और हड़प्पा के खंडहर का पता चला. हरियाणा स्थित राखीगढ़ी घग्घर नदी के तट पर स्थित है.
भारतीय पुरातत्व विभाग ने राखीगढ़ी में खुदाई कर एक पुराने शहर का पता लगाया था और तकरीबन 5000 साल पुरानी कई वस्तुएं बरामद की थीं. राखीगढ़ी में लोगों के आने जाने के लिए बने हुए मार्ग, जल निकासी की प्रणाली, बारिश का पानी एकत्र करने का विशाल स्थान, कांसा सहित कई धातुओं की वस्तुएं मिली हैं. राखीगढ़ी सिन्धु घाटी सभ्यता का भारतीय क्षेत्रों में धोलीवारा के बाद दूसरा विशाल ऐतिहासिक नगर है. राखीगढ़ी का उत्खनन व्यापक पैमाने पर 1997 – 99 ई. के दौरान अमरेन्द्र नाथ द्वारा किया गया. राखीगढ़ी से प्राक्-हड़प्पा एवं परिपक्व हड़प्पा युग इन दोनों कालों के प्रमाण मिले हैं.
अहोम वंश का नगर शिवसागर असम में स्थित यह स्थान वर्ष 1699 से 1788 ईस्वी के मध्य अहोम वंश की राजधानी था. पहले इसे रंगपुर के नाम से भी जाना जाता था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को यहां उत्खनन के दौरान रास्ते के संरचनात्मक अवशेषों के साथ, लंबी दीवारें, नालियों के लिये टेराकोटा पाइप, फूलदान और कुछ पात्र मिले थे. शिवसागर में स्थित अन्य महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल रंग घर है, जो अहोम राजाओं के लिए एक रंगभूमि था, जिसे खेल के लिये उपयोग किया जाता था.
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