Air India: सरकार ने अब एयर इंडिया में अपनी पूरी हिस्सेदारी को बेचने की पूरी तैयारी कर ली है. सरकार ने गुरुवार को संसद में बताया कि 15 सितंबर तक एयर इंडिया (Air India) के लिए बोली लगने की संभावना है. इसी साल जनवरी में भी एयर इंडिया की बोली लगने का मुद्दा उठा था, लेकिन कोरोना की वजह से इसमें देरी होती चली गई. नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री वीके सिंह ने लोकसभा में बताया कि वित्तीय बोलियां जमा करने से संबंधित सभी दस्तावेज 30 मार्च, 2021 तक इच्छुक बोलीदाताओं के साथ साझा किए जा चुके हैं. सरकार ने कहा कि वित्तीय बोलियां 15 सितंबर, 2021 तक प्राप्त होने की संभावना है.
दिसंबर 2020 में घाटे में चल रही एयरलाइन के लिए शुरुआती बोलियां लगाने वालों में से टाटा ग्रुप एक था. साल 2020 में ही टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया के लिए कई बार बोली लगाई थी.
घाटे में चल रही एयर इंडिया में अपना पूरा 100 फीसद शेयर सरकार बेच रही है. साल 2007 में इंडियन एयरलाइंस के साथ एकीकरण के बाद से ही एयर इंडिया लगातार घाटे में चल रही है.
जो भी कंपनी बोली लगाना चाहती है उसे पहले गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी लेनी होगी, जिसमें एक महीने का वक्त लग सकता है.
सिक्योरिटी क्लीयरेंस प्राप्त करने वाले निवेशकों की ही बोलियां खोली जाएंगी. विजेता बोलीदाता द्वारा सभी नियामक मंजूरी प्राप्त करने के बाद, लेनदेन वित्त वर्ष 22 के अंत तक समाप्त हो सकता है.
2017 के बाद से पर्याप्त हितों को आकर्षित करने में विफल होने के बाद, केंद्र सरकार ने इस बार बोली लगाने वालों को यह तय करने की छूट दी है कि वे एयरलाइन का कितना कर्ज लेना चाहते हैं.
हालांकि, खरीदार को उसके द्वारा उद्यम मूल्य ( enterprise value) का 15 फीसद नकद में भुगतान करना होगा. बोलियां 20,000 करोड़ रुपये से कम होने की संभावना है, जिसमें से 15 फीसद या 3,000 करोड़ रुपये सरकार को नकद में देने होंगे.
इससे पहले, खरीदार को एयरलाइन के कुल 60,000 करोड़ रुपये (31 मार्च, 2019 तक) के कुल कर्ज में से 23,286 करोड़ रुपये लेने की आवश्यकता थी, बाकी का हिस्सा सरकार के जिम्मे था. इससे पहले भी कई बार एयर इंडिया की बोली असफल हो चुकी है.
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