म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की बात करें तो, लार्ज कैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और बैलेंस्ड फंड जैसे कई कैटेगिरी के फंड हैं. निवेशकों को अक्सर यह दुविधा रहती है कि कौन से फंड में निवेश करें. इसी तरह शेयर बाजार में निवेश के मामले में भी निवेशक परेशान रहते हैं कि लार्जकैप शेयर में पैसा लगाएं या स्मॉलकैप, मिडकैप में…
इस तरह की दुविधाओं से परेशान रहने वालों के लिए ही बाजार में मल्टीकैप फंड का विकल्प है. ये ऐसे डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड होते हैं जो कि अलग—अलग तरह की मार्केट कैप वाली कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं. यानी एक ही फंड में निवेश करके आपको कई तरह की कंपनियों में निवेश का फायदा मिल जाता है.
निवेश के लिए क्राइटेरिया
सेबी ने हर तरह के फंड के इनवेस्टमेंट के लिए एक क्राइटेरिया तय किया है. उदाहरण के लिए लार्ज कैप फंड को अपने एसेट का 80 फीसदी हिस्सा लार्जकैप शेयरों में लगाना होता है. स्मॉलकैप फंड को अपने एसेट का 65% फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप फंड में लगाना होता है. म्यूचुअल फंड निवेशकों में अब मल्टीकैप फंड पॉपुलर हो रहे है, क्योंकि इनमें फ्लेक्सिबिलिटी ज्यादा है. जनवरी 2021 से लागू मल्टीकैप के नए नियम के मुताबिक सेबी ने फंड हाउसेज से कहा है कि उन्हें अपने आवंटन का कम से कम 75 फीसदी हिस्सा इक्विटी या इससे जुड़े साधनों में लगाना होगा. उन्हें 25-25 फीसदी हिस्सा लार्ज, स्मॉल और मिडकैप कंपनियों के शेयरों यानी तीनों में लगाना होगा और बाकी 25 फीसदी हिस्सा वे अपनी मर्जी साधनों में कहीं भी लगा सकते हैं. यानी मल्टीकैप फंड भी इक्विटी फंड की कैटेगिरी में ही आते हैं.
क्या हैं फायदे?
मल्टीकैप म्यूचुअल फंड में निवेश करने का प्रमुख फायदा यह है कि आपको शेयरों के एक व्यापक पोर्टफोलियो में एक्सपोजर मिलता है और सभी सेक्टर और साइज की कंपनियों के इक्विटी से जुड़े साधनों में आपका पैसा लगता है. इससे होता यह है कि तेजी के बाजार में तो ज्यादातर शेयरों में अच्छा रिटर्न मिलता है, लेकिन बाजार गिरने लगता है तो लार्जकैप शेयरों में कम गिरावट की वजह से फंड के पूरे एसेट को नुकसान कम होता है.
इन सबकी वजह से मल्टीकैप फंड में मॉडरेट यानी मध्यम रिस्क होता है. इन फंड में लॉन्ग टर्म में देखें तो मिडकैप फंड के मुकाबले कम उतार-चढ़ाव होता है. हालांकि इनमें लार्जकैप फंड्स के मुकाबले जोखिम ज्यादा होता है.
एक मल्टीकैप फंड कई तरह के मार्केट कैप वाली कंपनियों में निवेश करता है. इसलिए ऐसे किसी फंड की सफलता में फंड मैनेजर की राय अहम होती है. ऐसे में निवेश करने से पहले यह देखना बेहतर होगा कि फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड क्या है और उस फंड का लॉन्ग टर्म का ट्रैक रिकॉर्ड क्या है..
किसी फंड के पोर्टफोलियो पर भी आपको गहरी नजर रखनी होगी. यह देखना होगा कि पिछले वर्षों में उसने अपना पैसा किन शेयरों में लगाया है. मल्टी कैप फंड किसी एक सेक्टर में निवेश तक सीमित नहीं रहते हैं, इसलिए निवेशकों के लिए सेक्टरवार ट्रेंड पर नजर रखना भी जरूरी है.
सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान यानी SIP शुरू करने के लिए भी मल्टीकैप फंड एक बेहतरीन रास्ता हो सकते हैं. इससे आप 500 रुपए जैसी छोटी रकम में भी शेयर बाजार के ब्रॉड कैटेगिरी में निवेश का फायदा उठा सकते हैं.
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