अपने जीवन को बेहतर बनाने की लड़ाई में जुटे नागरिकों के बीच देशभक्ति की भावना जगाने के लिए स्वतंत्रता दिवस एक सही अवसर है. ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ अभियान उसी दिशा में एक कदम था. कोविड -19 महामारी से हुए नुकसान के बाद देश को वापस पटरी पर लाने के लिए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की थीम को और मजबूत करने के उद्देश्य से कई योजनाओं की घोषणा की.
साल 2022 तक ‘नए भारत’ के निर्माण का सपना कोविड-19 महामारी द्वारा उपजे व्यवधान के कारण अब 2047 में स्थानांतरित हो गया है. लेकिन प्रधानमंत्री ने दोहराया है कि उस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए जोश और उत्साह में किसी भी तरह की कमी नहीं होनी चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह लक्ष्य हासिल करने के लिए हर नागरिक को आगे आना होगा.
राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन, गति शक्ति योजना और 75 हफ्तों में 75 वंदे भारत ट्रेनों से यह संदेश जाने की उम्मीद है कि भारत संरक्षणवाद के लिए खड़ा नहीं है और इसका उद्देश्य विश्व स्तरीय उत्पाद बनाना है. पीएम ने स्वयं सहायता समूहों की उपज को बेचने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म स्थापित करने के निर्णय की भी घोषणा की. आत्मनिर्भर भारत नीति के पुनर्मूल्यांकन से देश में रोजगार पैदा करने और अर्थव्यवस्था को कोविड के प्रकोप से बाहर निकालने में मदद मिलेगी.
पिछले साल पीएम ने बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की थी. इस वर्ष गति शक्ति योजना की घोषणा की गई है, जिससे समग्र बुनियादी ढांचे की नींव रखे जाने की उम्मीद है.
लेकिन इन योजनाओं का धीमा क्रियान्वयन एक ऐसी चीज है, जिसे देश बर्दाश्त नहीं कर सकता. जब तक पीएम अपना अगला स्वतंत्रता दिवस भाषण देंगे, तब तक शायद बहुत अधिक परिवर्तन दिखाई न दें. हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण है कि जिस तरह का इरादा है, क्या उसी तरह से कुशल निष्पादन भी हो रहा है? कागज पर लिखी हुई एक सुविचारित परियोजना और जमीन पर एक प्रभावी परियोजना के बीच के सारे अंतर सिर्फ कुशल कार्यान्वयन ही मिटा सकता है.