हमारे जीवन में कई ऐसे मौके आते हैं, जब हमें जरूरी कार्यों के लिए पैसों की सख्त आवश्यकता होती है. इस नकदी की आवश्यकता को पूरा करने का एक विकल्प है पर्सनल लोन. हालांकि, पर्सनल लोन पर ब्याज दर काफी अधिक होती है. ऐसे में आपको इसे चुकाने के लिए मोटा ब्याज देना होगा. यही कारण है कि एक्सपर्ट जब तक बेहद जरूरी न हो, पर्सनल लोन को टालने की सलाह देते हैं. आज हम आपको 9 ऐसी बातें बताएंगे, जो पर्सनल लोन की ब्याज दर को प्रभावित करती हैं.
अगर आप संगठित क्षेत्र के कर्मचारी हैं और आपकी रेगुलर इनकम है, तो आपको पर्सनल लोन पर बेस्ड डील पाने में मदद मिलेगी. इससे कर्जदाता आपकी समय पर ईएमआई चुकाने की क्षमता को लेकर आश्वस्त हो जाते हैं. अगर आपकी आय कम या अनियमित है, तो कर्जदाता आपको लोन तो दे देंगे, लेकिन उस पर ब्याज दर अपेक्षाकृत अधिक होगी.
अगर आप अपने लोन पर कम ब्याज दर चाहते हैं, तो आपकी क्रेडिट हिस्ट्री साफ-सुथरी होनी चाहिए. अगर आपको पास पहले कोई लोन है, तो कर्जदाता यह देखेगा कि क्या आप समय पर अपनी ईएमआई दे रहे हैं या नहीं. अगर आप समय पर अपनी ईएमआई नहीं भरते हैं, तो नए लोन में आपको अच्छी ब्याज दर मिलने में दिक्कत हो सकती है. वहीं, अगर आपका पुराना लोन अधिक राशि का है, तो आपको नया लोन कम राशि का मिलेगा.
कोई भी लोन देते समय कर्जदाता सबसे पहले ग्राहक का क्रेडिट या सिबिल स्कोर चेक करता है. ग्राहक का क्रेडिट स्कोर जितना अच्छा होगा, उसे उतनी ही अच्छी लोन डील मिलने की संभावना रहती है. आपका क्रेडिट स्कोर आपके पुराने लोन के पुनर्भुगतान की परफॉर्मेंस को दर्शाता है. अगर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री अच्छी है, तो आपका क्रेडिट स्कोर भी अच्छा होगा. पर्सनल लोन के लिए 750 क्रेडिट स्कोर पर्याप्त माना जाता है. अगर आपका क्रेडिट स्कोर इससे बेहतर है, तो आपको पर्सनल लोन पर अपेक्षाकृत कम ब्याज दर पर कर्ज मिल सकता है.
अधिक राशि का कर्ज देने में रिस्क भी अधिक होता है. इसलिए, आप कितनी राशि का लोन लेते हैं, उस पर भी ब्याज दर निर्भर करती है.
आपकी जॉब किस तरह की है और आपका नियोक्ता कैसा है, इस पर भी पर्सनल लोन की ब्याज दर निर्भर करती है. कर्जदाता यहां यह देखता है कि क्या आपकी कंपनी समय पर वेतन देती है या नहीं. वित्तीय रूप से कमजोर कंपनी और अनियमित रुप से सैलरी का भुगतान करने वाली कंपनी के कर्मचारियों को लोन मिलने में समस्या आ सकती है. ऐसे लोगों को अपेक्षाकृत अधिक ब्याज दर पर लोन मिलता है.
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी कहते हैं कि ग्राहक को लोन लेने के लिए सबसे पहले उस बैंक में जाना चाहिए, जहां उसका अकाउंट है, उस बैंक के पास पहले से ही ग्राहक की क्रेडिट हिस्ट्री मौजूद होती है. यहां आपको बड़ी राशि का लोन भी कम दर पर मिल जाएगा. आपके रिश्ते अपने बैंक से अच्छे हैं, तो आपको प्री-अप्रूव्ड लोन भी मिल सकता है.
पर्सनल लोन की ब्याज दर को रेपो रेट जैसी बेंचमार्क दरें भी प्रभावित करती हैं. रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई बैंकों व वित्तीय संस्थानों को लोन देता है. अगर आरबीआई रेपो रेट घटाता है, तो ग्राहकों को अपेक्षाकृत कम रेट पर पर्सनल लोन मिल सकता है.
भले ही आप एक नामी कंपनी में काम करते हों और आपकी सैलरी भी अच्छी-खासी हो, लेकिन आपका डेट टू इनकम रेशियो ठीक नहीं है, तो आपको कम ब्याज दर वाला लोन नहीं मिल पाएगा. मतलब यह कि आप सैलरी तो अच्छी पाते हैं, लेकिन उसका अधिकांश हिस्सा पुराने लोन के पुनर्भुगतान में चला जाता है. आपके सारे लोन पेमेंट्स को आपकी कुल सैलरी से डिवाइड करने पर डेट टू इनकम रेशियो निकलता है. डेट टू इनकम रेशियो जितना कम होगा आपको उतनी अच्छी लोन डील मिल पाएगी.
अगर कर्जदाता को आपकी क्रेडिट हिस्ट्री में डिफॉल्ट्स नजर आते हैं, तो आपको कम ब्याज दर का लोन नहीं मिल पाएगा. मतलब अगर आपने अपने पुराने लोन्स का पुनर्भुगतान समय पर नहीं किया है, तो कर्जदाता आपको बहुत उच्च ब्याज दर वाला लोन देगा या वह आपकी लोन एप्लीकेशन को रिजेक्ट भी कर सकता है.
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