दिल्ली सरकार द्वारा किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि शहर की झुग्गी-बस्तियों के करीब 44 फीसदी निवासी पेयजल के लिए बोतलबंद पानी पर निर्भर हैं. वहीं शहर के करीब 76 फीसदी मकानों में पाइप वाले पानी का कनेक्शन है. रिपोर्ट के अनुसार, शहर के 71 फीसदी मकान पाइप वाली सीवर प्रणाली से जुड़े हैं, जबकि 28.5 फीसदी मकान सेप्टिक टैंक से जुड़े हैं. दिल्ली सरकार के अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय द्वारा किए गए ‘पेयजल, स्वच्छता और आवासीय अवस्था’ संबंधी 76वें वार्षिक सर्वेक्षण में नमूनों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है. अधिकारियों ने बताया कि पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 और फिर कोविड-19 महामारी के कारण इस रिपोर्ट में देरी हुई है.
दिल्ली में सात फीसदी लोग उपयोग करते हैं बोतलबंद पानी
रिपोर्ट के अनुसार, 76 फीसदी मकानों में पानी का कनेक्शन है, 7.5 फीसदी मकानों में ट्यूबवेल का उपयोग होता है और सात फीसदी बोतलबंद पानी का उपयोग कर रहे हैं. वहीं 3.8 फीसदी सार्वजनिक नल और 3.3 फीसदी पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं.
छह सालों में दोगुनी हुई बोतलबंद पानी का उपयोग करने वालों की संख्या
2012 से 2018 के बीच पेयजल के लिए बोतलबंद पानी का उपयोग करने वाले परिवारों की संख्या दोगुनी हुई है. वहीं सर्वेक्षण के मुताबिक यह बात भी सामने आई है कि झुग्गी-बस्तियों में करीब 44 फीसदी परिवार पीने के लिए बोतलबंद पानी का इस्तेमाल करते हैं.
जेब पर भी असर डालता है बोतलबंद पानी
हालांकि यह बोतलबंद पानी मेट्रो सिटी के लोगों की लाइफ का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. लेकिन यह पानी लोगों के मासिक बजट पर भी असर डाल रहा है. दरअसल में दिल्ली की बात करें तो यहां एक बोतल बंद पानी की कीमत 40 से 50 रुपये के बीच है. ऐसे में चार लोगों के परिवार में लगभग 20 बोतल लग जाती है जिसके लिए उन्हें 50 रुपये के हिसाब से महीने के 1000 रुपये और साल के 12 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं.