भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सरकार पर ग्रामीण क्षेत्र में पर्यटन के विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिये जाने का उल्लेख करते हुए कहा है कि ‘स्वदेश दर्शन योजना’ के तहत मार्च, 2022 तक ग्रामीण सर्किट पर केवल 30.84 करोड़ रुपए खर्च किए गए. यह इस योजना के तहत कुल 4,239 करोड़ रुपए के व्यय का एक फीसद से भी कम यानी 0.73 फीसद है. कैग की नौ अगस्त, 2023 को प्रस्तुत ‘स्वदेश दर्शन योजना – पर्यटन मंत्रालय के अधीन’ विषय पर प्रदर्शन आडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वदेश दर्शन योजना का एक अहम पहलू ‘‘ विषय आधारित पर्यटन सर्किट का विकास’’ था. विषय आधारित इन पर्यटन सर्किटों की पहचान इन स्थलों पर पर्यटकों के आने की वर्तमान संख्या, सम्पर्क, इसकी क्षमता, महत्व जैसे कारकों के आधार पर की जानी थी.
इसी के अनुरूप मंत्रालय ने 15 विषय आधारित सर्किट में एक के रूप में ‘ग्रामीण सर्किट’ को चिन्हित किया जिससे ग्रामीण क्षेत्र में पर्यटन आधारभूत ढांचे के विकास किया जा सके. ऐसी उम्मीद की गई थी कि बेहतर आधारभूत ढांचे से पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी और इसके चलते स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार के बेहतर अवसर सृजित किये जा सकेंगे. कैग ने अपने ऑडिट में पाया कि मंत्रालय ने 15 विषय/सर्किट के तहत 76 परियोजनाएं मंजूर कीं. कैग की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण सर्किट के तहत राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित आठ प्रस्तावों में मंत्रालय ने छह प्रस्ताव वापस लौटा दिये और केवल दो परियोजनाओं को लिया गया जिनकी लागत 125.02 करोड़ रुपये थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2022 तक ग्रामीण सर्किट पर केवल 30.84 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जो इस योजना के तहत 4,239 करोड़ रुपये के कुल व्यय का केवल 0.73 प्रतिशत है. रिपोर्ट कहती है कि उपरोक्त दो परियोजनाओं में एक ‘केरल में मलानाड मालाबार क्रूज पर्यटन का विकास’ को सितंबर, 2018 में मंजूरी दी गई थी और यह कई स्थानों पर तटीय नियमन क्षेत्र (सीआरजेड) की मंजूरी के अभाव में लंबित है. इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार के आग्रह पर पर्यटन मंत्रालय ने सीआरजेड मंजूरी की प्रक्रिया को तेज करने के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से आग्रह (अगस्त, 2021) किया था. हालांकि, रिकार्ड में इस दिशा में कोई प्रगति दर्ज नहीं की गई और जारी की गई सम्पूर्ण राशि अर्थात 4.83 करोड़ रुपये खर्च नहीं की जा सकी.
रिपोर्ट के अनुसार, पर्यटन, परिवहन और संस्कृति पर विभाग संबंधी संसद की स्थायी समिति ने अपने 275वें प्रतिवेदन में सिफारिश की थी कि ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहन के लिए अधिक ग्रामीण सर्किट मंजूरी किये जा सकते हैं और इसके लिए अधिक राशि दी जा सकती है. इसमें कहा गया है कि मंत्रालय ने ग्रामीण सर्किट के तहत न तो अधिक परियोजनाएं मंजूर कीं और न ही अधिक राशि दी. इस प्रकार से मंत्रालय ने इस योजना के तहत ग्रामीण पर्यटन को कम प्राथमिकता दी. कैग की रिपोर्ट के अनुसार, स्वदेश दर्शन योजना के दिशानिर्देशों के तहत पर्यटन सर्किट का आशय एक ऐसे मार्ग से बताया गया जिसमें कम से कम तीन पर्यटन स्थान स्थित होंगे। ये पर्यटन स्थल इस प्रकार से इस मार्ग पर स्थित होंगे कि इनमें से कोई एक शहर, नगर या गांव में स्थित नहीं होगा लेकिन इनके बीच बहुत अधिक दूरी भी नहीं होगी.
रिपोर्ट के अनुसार, यह पाया गया कि पर्यटन मंत्रालय ने बिहार से प्राप्त एक प्रस्ताव ‘इको सर्किट’ के तहत ‘बाल्मिकी बाघ अभयारण्य का विकास’ को इस आधार पर वापस लौटा दिया कि यह योजना विषय आधारित पर्यटन सर्किट के विकास के लिए है और इसमें अकेले स्थल को शामिल नहीं किया जा सकता है. इसमें कहा गया है कि मंत्रालय ने हालांकि इस मानदंड को एक समान रूप से पर्यटन सर्किट के विकास के संदर्भ में लागू नहीं किया. मंत्रालय ने पांच परियोजनाओं.. इम्फाल खोंनजोम सर्किट के विकास, मंतालाई एवं सुधमहादेव पर समन्वित पर्यटन सुविधा के विकास, बोधगया में कन्वेंशन सेंटर के निर्माण, अयोध्या के विकास, चित्रकूट एवं श्रृंगवेरपुर के विकास को मंजूरी दे दी जिसके तहत तीन से कम स्थल आते हैं.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।