कोरोना की जकड़ से हमें कोई बाहर निकालने का दम केवल वैक्सीन में है. अच्छी बात यह है कि भारत ने टीकाकरण की गति तेजी से बढ़ाई है. कई मुश्किलें सामने खड़ी होने और कई तरह की अफवाहों के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों को टीका लगाया जा सका है. कुछ 10 महीनों के समय में 100 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं.
जानलेवा महामारी से पार पाने के लिए पूरे देश का साथ आना जरूरी था. कई स्तरों पर चुनौतियां थीं, जिनका मिलकर हमें सामना करना था. भारत ने दिखा दिया कि परिस्थिति कितनी भी विपरीत हो, हम हर मुश्किल का सामना करने में सक्षम हैं. देश की एंटरप्राइजिंग और मेडिकल फ्रेटर्निटी ने सरकार के साथ आकर करीब 75 प्रतिशत जनता को पहली डोज लगा दिया और 31 फीसदी को पूरी तरह वैक्सीनेट कर दिया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधनोम ने भी भारत के प्रयासों की प्रशंसा की है. इससे पता चलता है कि दुनिभार में भारत की वैक्सीनेशन ड्राइव एक प्रेरणा रही है.
#VaccineCentury सोशल मीडिया पर ट्रेंड करता दिखा और आने वाले दिनों में सुर्खियों में बना रहने वाला है. हालांकि, 100 करोड़ डोज की उपलब्धि के बाद हम ढीले नहीं पड़ सकते. कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है. जो राज्य अभी पीछे हैं, उन्हें रफ्तार पकड़नी होगी. जब तक महामारी का खतरा पूरी तरह नहीं टलता, हमें इसी तरह तैनात रहना होगा.
शुरू में देश में वैक्सीन की उत्पादन संख्या रोजाना लगाई जाने वाली डोज की औसत जरूरी संख्या से कहीं कम थी. डेली डोज की संख्या पिछले कुछ सप्ताह से काफी बढ़ी है. हालांकि, एक करोड़ डोज प्रति दिन अगर लगातार लगतीं, तो इसी साल पूरा देश वैक्सीनेट हो सकता था. सरकार को इस संख्या को और बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की डबल डोज पूरी हो सकें. तीसरी लहर का खतरा हमारे ऊपर बना हुआ है. अगर ऐसा हुआ तो अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी. हम फिर से उस खौफनाक दौर से नहीं गुजर सकते.