साल 2021 में भारत की आर्थिक ग्रोथ के 2019 के मुकाबले कम रहने के आसार हैं. युनाइटेड नेशंस इकनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड पैसिफिक (UNESCAP) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए वैक्सीन आने के बावजूद ग्रोथ का 2019 के लेवल पर लौट पाना मुश्किल होगा.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-22 में भारत की ग्रोथ करीब 7 फीसदी रहेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि “दुनिया के कुछ सबसे सख्त लॉकडाउन के चलते 2020 की दूसरी तिमाही में देश ने आर्थिक उथल-पुथल का अनुभव किया है.” रिपोर्ट में कहा गया है कि बाद में लॉकडाउन की नीतियों में बदलाव और संक्रमण की दर में कमी से तीसरी तिमाही में तेज रफ्तार से आर्थिक हालात में सुधार हुआ है.
रिपोर्ट में कहा गया है, “हालांकि, चौथी तिमाही में रिकवरी की रफ्तार सुस्त हुई है और साल-दर-साल आधार पर ग्रोथ शून्य के करीब पर रहने का अंदेशा है. नए कोविड मामलों में कमी आने और वैक्सीन लॉन्च होने के बावजूद 2021 में भारत का इकनॉमिक आउटपुट 2019 के लेवल से कम ही रहेगा.”
इसमें कहा गया है कि उधारी की लागत को कम रखना और इसके साथ ही नॉन-परफॉर्मिंग लोन पर भी काबू रखना एक चुनौती होगा.
नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) ने कोविड-19 के असर को देखते हुए 2020-21 में 8 फीसदी ग्रोथ का अंदाजा दिया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 से निपटने के लिए चीन के उठाए गए तेज कदमों से वह दुनियाभर में ऐसी इकलौती बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है जिसने 2020 में सकारात्मक सालाना ग्रोथ हासिल की है. कोविड के दौर में चीन आर्थिक रिकवरी के लिहाज से दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रही है.
औद्योगिक उत्पादन, इंफ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग निवेश, मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट में मजबूत रिकवरी और निजी खपत में भी रिकवरी होने से साल-दर-साल आधार पर चीन की चौथी तिमाही में ग्रोथ 6.5 फीसदी रही है जो कि महामारी से पहले के लेवल से ज्यादा है.