Income Tax Return: पिछले 2 वित्त वर्षों में IT रिटर्न नहीं भरने वाले उन लोगों पर TDS अधिक दर से लगेगा जिनपर 50,000 रुपये या उससे अधिक की देनदारी है
TDS on Dividend Income: शेयरों पर डिविडेंड जारी करने पर TDS लगेगा. ध्यान रहे कि डिविडेंड म्यूचुअल फंड से हुई कमाई भी इसमें शामिल हैं
Insurance Policy Sum Assured: अगर आपने PAN की जानकारी नहीं दी है, तो आप को सामान्य से 10 गुना ज्यादा TDS देना पड़ेगा.
Tax: 31 मई तक आपको इनकम टैक्स रिटर्न, बिलेटेड रिटर्न , टीसीएस सर्टिफिकेट, टीडीएस भुगतान करना जरूरी है. ऐसा नहीं करना भारी पड़ सकता है
TDS: दो सालों में 50,000 रुपये से ज्यादा TDS और TCS कटा है तो ऐसे मामले में तय दर की जगह डबल रेट से या 5% की दर से टैक्स कटेगा.
TDS: टीडीएस की कटौती न हो इसके लिए बैंक में फॉर्म 15G/15H जमा करना होता है. एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर निवेशकों को ही टैक्स चुकाना होता है
TDS- एक वित्त वर्ष में पोस्ट ऑफिस की सभी स्कीम से 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की कैश निकासी होती है तो 1 करोड़ से ज्यादा की राशि पर 5% TDS कटेगा.
Tax Deduction at Source- CEPT टेक्नोलॉजी की मदद से संबंधित सर्किल्स को जरूरी जानकारी देगा कि जमाकर्ता की खाता संख्या, पैन, कितना TDS कटना है.
Income tax rules changing- नया वित्त वर्ष (New financial year) आपके लिए भी बहुत कुछ नया लेकर आएगा. आपके बटुए से जुड़े कई अहम नियम बदल जाएंगे.
अभी तक इन प्रोफेशनल्स को कमाई का 7.5 फीसदी हिस्सा ही बतौर TDS चुकाना पड़ता है. हालांकि, 1 अप्रैल से इन्हें 10% TDS चुकाना होगा.