अगर वे इस तरह का कोई कारोबार करते हैं या इसमें लिप्त पाए जाते हैं तो यह नियमों का उल्लंघन है और इसके चलते सख्त कार्रवाई हो सकती है.
7 सितंबर को सेबी का सर्कुलर जारी होने से पहले न तो FPI और न ही भारत में उनके कस्टोडियन से कोई सलाह ली गई थी.
यह लिस्टेड कंपनियों के टेकओवर को अधिक जटिल बनाता है और निवेशकों को नियंत्रित हिस्सेदारी हासिल करने से भी रोकता है.
ANMI ने सेबी के चेयरमैन को लिखे पत्र में कहा कि इस कदम से ब्रोकर्स के लिए वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता बढ़ेगी और सिस्टम पर काम का बोझ बढ़ेगा.
सेबी के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि एफपीआई के लिए यह कोई नई बात नहीं है, क्योंकि भारत में उनके सभी मौजूदा डेरिवेटिव ट्रेड प्रीफंडेड हैं.