निवेशकों को इससे ट्रांजैक्शन के बाद जल्दी फंड प्राप्त हो सकेगा. साथ ही बाजार से जुड़े कई जोखिम भी कम होंगे.
इस व्यवस्था का उद्देश्य बाजार की क्षमता में इजाफा करना और निवेशकों के हितों की रक्षा करना है.