वॉरेन बफेट जैसे कई निवेशक बाजार के ट्रेंड को फॉलो नहीं करते और उसके उलट चलते हैं. वे कॉन्ट्रैरियन इनवेस्टर होते हैं.
वायदा बाजार की मंथली एक्सपायरी के दिन शुरुआती उतार-चढ़ाव के बाद तेजड़ियों ने बाजार की कमान संभाल ली.
अगर आपके पास 2-3 महीने के लिए पैसा फालतू पड़ा है तो बैंक में रखने की जगह आप इसे मनी मार्केट फंड में लगा सकते हैं.
जिस तरह से Share Market एक्सचेंजों पर कंपनियां लिस्ट होती हैं, उसी तरह से उन्हें डीलिस्ट भी किया जाता है.
जब कोई कंपनी Share Market से डीलिस्ट होती है तो उसके शेयरों का प्राइस तय करने के लिए रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया अपनाई जाती है.
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्ण कुमार करवा के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
PE यानी प्राइस टु अर्निंग रेशियो से पता चलता है कि कोई शेयर या इंडेक्स कितना सस्ता या महंगा है.
किसी कंपनी के शेयरों में निवेश कर डिविडेंड कमाने के लिए खास तौर से चार डेट्स का ध्यान रखना चाहिए. इन तारीखों का ध्यान रखना क्यों जरूरी है.
सोमवार को पहले दौर की बातचीत के बाद भी यूक्रेन में रूसी हमले जारी रहने से दुनियाभर के बाजारों में भारी गिरावट.
लिस्टेड रियल्टी कंपनियां अपने तिमाही नतीजे घोषित करने से पहले हर तिमाही के Pre-sales आंकड़े भी जारी करती हैं.