रिजर्व बैंक के रेपो रेट बढ़ाने के बाद बैंकों ने भी अपने लोन और बचत से जुड़े इंटरेस्ट रेट बढ़ा दिए. आम लोगों के लिए क्या हैं इसके मायने, जानिए
महंगाई की बढ़ती चुनौती को देखते हुए रिजर्व बैंक ने बड़ा कदम उठाया है. रिजर्व बैंक ने बुधवार को पॉलिसी दरों में बढ़ोतरी की है.
RBI की योजना सरप्लस लिक्विडिटी को कम करने की है ताकि रिवर्स रेपो ऑपरेशन के तहत बैंकों से उसकी उधारी दिसंबर 2021 तक घटकर 2-3 लाख करोड़ रुपये हो जाए.
RBI Monetary Policy Oct 2021 : केंद्रीय बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 के लिए देश की (GDP Growth) के अनुमान को भी 9.5 फीसद पर बरकरार रखा है.
रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा नीति 6 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक चलेगी. इकनॉमिस्ट्स के मुताबिक, RBI लगातार 8वीं बार ब्याज दरों को बिना बदले रख सकता है.
RBI: मैक्रोइकॉनॉमिक इंडिकेटरों में सुधार के साथ केंद्रीय बैंक दरों के कम रखते हुए तरलता पर बेहतर पकड़ रखना पसंद कर सकता है.
इस बात के आसार भी मजबूत हैं कि अक्टूबर-दिसम्बर तिमाही के दौरान त्यौहारी मांग बढ़ने से महंगाई दर के ऊपर जाने के आसार होंगे.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 4 फीसद और रिवर्स रेपो रेट को 3.35 फीसद पर बरकरार रखा है.
RBI की ब्याज दरें बढ़ाने से महंगाई पर काबू पाया जा सकेगा. साथ ही, सरकार के लिए इंफ्रा पर काम करने का यही समय है ताकि अर्थव्यवस्था में फिर से जान आए.
Inflation impact: जब नीतिगत ब्याज दर बढ़ायी जाती है तो आम तौर पर कर्ज पर भले ही ब्याज दर बढ़ जाए, लेकिन उसी तत्परता से जमा पर ब्याज दर नहीं बढ़ती