1992 में आईसीएआर-नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज, लखनऊ ने केटली को लुप्तप्राय प्रजातियों की श्रेणी में शामिल किया था.
फील्ड और बागवानी फसलें ही नहीं बल्कि पिछले 7 वर्षों में पोल्ट्री, शूकर, भेड़, भैंस, खाद्य और सजावटी मछलियों की कई किस्में विकसित हुई हैं.