मार्केट की स्थितियों के आधार पर पोर्टफोलियो में बदलाव करते रहने की इस रणनीति को डायनेमिक एसेट एलोकेशन (Dynamic Asset Allocation) कहा जाता है.
जानकारों के मुताबिक, FPI में कोविड संकट का भय और बढ़ता है तो विदेशी निवेशकों के अपनी हिस्सेदारी बेचने का चलन जोर पकड़ सकता है.
कोविड की दूसरी लहर के चलते कई राज्यों में पाबंदियां लगाई गई हैं. इससे FPI का सेंटीमेंट खराब हुआ है और उन्होंने मार्केट से पैसे निकाले हैं.
कम निवेश के साथ भी आप अपना पोर्टफोलियो बना सकते हैं और भविष्य के अपने वित्तीय लक्ष्य हासिल कर सकते हैं.
1 मार्च से 19 मार्च के बीच FPI ने इक्विटीज में 14,202 करोड़ रुपये लगाए, लेकिन उन्होंने डेट सेगमेंट से 5,560 करोड़ रुपये की निकासी की है.
फरवरी के अंत में भारतीय कैपिटल मार्केट्स में पार्टिसिपेटरी नोट्स (P-notes) के जरिए होने वाला निवेश बढ़कर 91,658 करोड़ रुपये हो गया है.