फरवरी के अंत में भारतीय कैपिटल मार्केट्स में पार्टिसिपेटरी नोट्स (P-notes) के जरिए होने वाला निवेश बढ़कर 91,658 करोड़ रुपये हो गया है. इस तरह से यह 33 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया है. इससे यह संकेत मिल रहा है कि ओवरसीज निवेशकों का बाजार में भरोसा बढ़ रहा है.
रजिस्टर्ड फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) P-notes को ओवरसीज निवेशकों को जारी करते हैं. अगर ओवरसीज निवेशक भारतीय स्टॉक मार्केट में खुद को सीधे तौर पर रजिस्टर्ड कराए बगैर पैसा लगाना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए P-notes के जरिए निवेश करना होता है. हालांकि, इसके लिए उन्हें एक जांच–पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.
सेबी के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय बाजारों में P-notes के निवेश (इक्विटी, डेट और हाइब्रिड सिक्योरिटीज) की वैल्यू फरवरी के अंत में बढ़कर 91,658 करोड़ रुपये पर पहुंच गई जो कि जनवरी के अंत में 84,916 करोड़ रुपये थी.
इससे पहले दिसंबर के अंत में P-notes के जरिए निवेश का स्तर 87,132 करोड़ रुपये था.
मई 2018 के बाद से पहली बार फरवरी 2021 में P-notes के जरिए निवेश सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है. मई 2018 में यह 93,497 करोड़ रुपये हो गया था.
फरवरी तक P-notes के जरिए हुए 91,658 करोड़ रुपये में से 84,195 करोड़ रुपये शेयरों में लगाए गए, जबकि 6,833 करोड़ रुपये डेट और 630 करोड़ रुपये हाइब्रिड सिक्योरिटीज में लगाए गए.
रिलायंस सिक्योरिटी के स्ट्रैटेजी हेड बिनोद मोदी कहते हैं, “P-notes के जरिए निवेश के लिए FPI की भागीदारी में फरवरी में तेज उछाल यह साबित करता है कि घरेलू मार्केट्स में ओवरसीज इनवेस्टर्स का भरोसा लगातार बढ़ रहा है. हालांकि, हमने पाया है कि FPI की P-notes के जरिए हिस्सेदारी अप्रैल 2020 से ही लगातार सुधार रही है.”
ग्रीन पोर्टफोलियो के को–फाउंडर दिवम शर्मा कहते हैं कि फरवरी 2021 में FPI ने P-notes के जरिए सबसे ज्यादा पैसे इक्विटीज में लगाए हैं. वे कहते हैं कि मार्च में भी इसी ट्रेंड के बने रहने के आसार हैं.
हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि कोविड-19 मामलों की दूसरी लहर और अमरीका में बॉन्ड यील्ड में लगातार इजाफा नियर टर्म में FPI का P-notes के जरिए निवेश कम कर सकता है.
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