कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के बीच इसका सामना करने के लिए सभी नए एक्सपेरिमेंट को भी उड़ान भरना होगा. दवाओं से टीकों की सप्लाई की दिक्कतों को टेक्नोलॉजी के जरिए पार किया जा सकता है.
फ्लिपकार्ट ने तेलंगाना में ऐसे ही एक प्रयोग को शुरू किया है जिसमें वैक्सीन की डिलिवरी ड्रोन के माध्यम से की जाएगी. अगर ये सफल होती है तो इसे दवाओं से लेकर जरूरी सामान को सप्लाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
राष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू करने की चाहत जरूर है लेकिन ये आसान नहीं है. इसके लिए टेक्नोलॉजी और डिलिवरी प्रक्रिया को स्केल-अप करना होगा – शायद स्वास्थ्य सुविधाओं और वैक्सीन और दवाओं के उत्पादन से भी ज्यादा तेजी से.
ड्रोन से डिलिवरी का आइडिया नया नहीं है. अमेजॉन प्राइम एयर भी ड्रोन आधारित डिलिवरी प्रोजेक्ट है जो अमेरिका में काम कर रहा है. वहीं, डॉमिनोज ने भी पिज्जा की ड्रोन डिलिवरी का टेस्ट 5 साल पहले किया था. ऐसे ही कई और कंपनियों ने इस कॉन्सेप्ट पर काम किया और कुछ सफल भी हुए.
इसी टेक्नोलॉजी को जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी लगाना होगा ताकि सप्लाई चेन में उभरी दिक्कतों का पार पाया जा सके और उत्पादन की जगह से जरूरी सामान मरीजों तक जल्द से जल्द पहुंच सके. तब तक, इस टेक्नोलॉजी के जरिए वैक्सीन की डिलिवरी का टेस्ट किया जा सकता है.
हालांकि, इसको अमल में लाने के लिए और फ्लाइंग पर्मिट के लिए सिविल एविएशन मंत्रालय से मंजूरी की जरूरत होगी. ये वही रोड़ा है जो एंटरटेनमेंट सेक्टर के ड्रोन पायलट्स को झेलना पड़ा है. अगली चुनौती होगी अस्पतालों में इन ड्रोन के लिए लैंडिंग स्पेस तैयार करना – हालांकि, छोटे स्पेस में भी ये किया जा सकता है.
डिलिवरी से जुड़ी गलतियों को कम करने और गलत डिलिवरी जैसी परेशानियों का हल ये है कि इसे भी पासवर्ड और पिन के जरिए सुरक्षित किया जाए. ये पासवर्ड सप्लायर और ग्राहक को ही मिले जिससे सामान को सही व्यक्ति ही हासिल कर सके.
इसके अलावा मौसम, हवाओं, और डिजिटल कनेक्टिविटी की भी दिक्कतों पर गंभीरता से काम करना होगा. इसपर टेक्नोलॉजी और एविएशन से जुड़े विशेषज्ञों को एक प्लान तैयार करना चाहिए ताकि इस प्लान को पंख लग सकें.
अगर ये प्रयोग सफल नहीं भी होता, तो भी इससे महामारी की लड़ाई में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को बल मिलेगा.
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