शेयर मार्केट केवल शेयरों तक ही सीमित नहीं है इसमें कई और फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट भी शामिल हैं. ये इंस्ट्रूमेंट एक बड़ा रिटर्न भी देते हैं. निवेशक अपना पैसा शेयर मार्केट में लगाकर ज्यादा पैसा बनाते हैं. कुछ निवेशक लंबी अवधि के लिए और कुछ छोटी अवधि के लिए पैसा लगाते हैं. आमतौर पर लोगों को लगता हैं कि शेयर मार्केट में सिर्फ शेयरों का ही कारोबार होता है लेकिन ऐसा नहीं है. शेयरों के अलावा और भी कई फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट (वित्तीय साधन) हैं, जिनका शेयर मार्केट में कारोबार होता है. इस लेख में हम उनके बारे में बात करेंगे.
शेयर
शेयर, स्टॉक एक्सचेंज का सबसे पॉपुलर (लोकप्रिय) फाइनेंशियल प्रोडक्ट (वित्तीय उत्पाद) है. जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप वास्तव में उस कंपनी में आंशिक हिस्सेदारी ले रहे होते हैं और कंपनी के शेयरधारक (शेयर होल्डर) बन जाते हैं. शेयर की कीमतों में हर पल उतार-चढ़ाव होता है. इस उतार-चढ़ाव से फायदा और नुकसान निर्धारित होता है.
डेरिवेटिव्स
एक डेरिवेटिव दो पार्टियों के बीच एक कॉन्ट्रैक्ट है. डेरिवेटिव्स में, निवेशक एक खास दिन और एक खास दर पर एसेट खरीदने या बेचने का कॉन्ट्रैक्ट (अनुबंध) करता है. इस एसेट में शेयर, करेंसी, कमोडिटी आदि शामिल हो सकते हैं. डेरिवेटिव्स को सोने और तेल में निवेश के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. मूल रूप से चार तरह के डेरिवेटिव्स हैं – फ्यूचर्स (वायदा कारोबार), ऑप्शंस, फॉरवर्ड्स और स्वैप. डेरिवेटिव ट्रेड के बारे में ज्यादा जानने के लिए 5paisa.com https://bit.ly/3RreGqO पर जाएं, जहां आपको डेरिवेटिव ट्रेडिंग के लिए कई प्रोडक्ट मिलेंगे.
म्यूचुअल फंड (Mutual fund)
म्यूचुअल फंड कई निवेशकों से पैसा जुटाकर विभिन्न एसेट में जैसे इक्विटी, मनी मार्केट, बॉन्ड और दूसरे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स (वित्तीय साधनों) में पैसा लगाते हैं. इसमें आपके पोर्टफोलियो को फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है, जिनका काम निवेशकों को हाई रिटर्न दिलाना होता है. नए निवेशकों और शेयर मार्केट की कम जानकारी रखने वालों के लिए म्यूचुअल फंड एक अच्छा विकल्प (ऑप्शन) हो सकता है.
बॉन्ड (Bonds)
सरकार या कंपनियां पैसा जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करती हैं. वास्तव में बांड खरीदकर आप एक तरह से इसे जारी करने वाले को उधार दे रहे हैं. जारीकर्ता आपको इस ऋण (लोन) के लिए ब्याज (इंटरेस्ट) का भुगतान करता है. बॉन्ड को निवेश का एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है क्योंकि वे निवेशकों को एक निश्चित ब्याज दर प्रदान करते हैं. बॉन्ड को उनकी निश्चित आय (फिक्स्ड इनकम) की वजह से फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज (निश्चित आय प्रतिभूतियां) भी कहा जाता है.
मुद्रा (Currency)
करेंसी को करेंसी मार्केट में खरीदा और बेचा जाता है जैसे फॉरेक्स मार्केट. करेंसी ट्रेडिंग में बैंक, कंपनियां, केंद्रीय बैंक (जैसे भारत में आरबीआई बैंक), इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट फर्म, ब्रोकर और सामान्य निवेशक शामिल होते हैं. करेंसी ट्रेडिंग में लेनदेन हमेशा जोड़ों में होता है. उदाहरण के लिए, USD/INR रेट का मतलब है कि एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने में कितने रुपये लगेंगे. आप BSE, NSE, या MCX-SX जैसे एक्सचेंजों के जरिए करेंसी ट्रेड कर सकते हैं.
कमोडिटी (Commodity)
कमोडिटी में एग्रीकल्चर प्रोडक्ट, एनर्जी और मेटल जैसी रोजमर्रा की वस्तुओं की ट्रेडिंग शामिल है. कमोडिटी (जिंसों) में निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका वायदा अनुबंध है. ये ऐसे अनुबंध हैं जो भविष्य की किसी तारीख पर एक निश्चित कीमत पर सामान की खरीद या बिक्री की सुविधा प्रदान करते हैं. अनुभवहीन निवेशकों के लिए कमोडिटी में ट्रेडिंग जोखिम भरा है. ट्रेडिंग मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज, नेशनल कमोडिटी और डेरिवेटिव्स एक्सचेंज सहित अन्य एक्सचेंजों के माध्यम से की जा सकती है.
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