जिस तरह शेयर बाजार में लोग सस्ते दाम में शेयर खरीद कर कर उसे महंगे दाम में बेचते हैं और मुनाफा कमाते हैं, ठीक उसी तरह शेयर बाजार में महंगे दाम पर शेयर बेचकर और फिर उसे सस्ते दाम पर खरीद कर भी फायदा कमाया जा सकता है. मार्केट में दो तरह के सेंटिमेंट काम करते हैं. पहला बुलिश और दूसरा बेयरिश. अगर आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं और उसके बढ़ने की उम्मीद करते हैं, तो उसे गोइंग लॉन्ग या लॉन्ग पोजिशन कहते हैं. वहीं, अगर आपको लगता है कि शेयर गिरने वाला है और आप उसे अपने नाम पर ट्रांसफर होने से पहले बेच देते हैं तो इसे शॉर्ट पोजिशन कहते हैं.
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लॉन्ग पोजिशन का मतलब
अगर बाजार में तेजी का यानी बुलिश रुख है और ट्रेडर को लगता है कि शेयर का भाव ऊपर जाएगा, तो वह उसे लंबे समय के लिए होल्ड कर सकता है. बाद में दाम बढ़ने पर वह शेयर बेचकर फायदा कमा सकता है. उदाहरण के लिए, ABC कंपनी का एक शेयर 100 रुपए का है. ट्रेडर को लगता है कि आने वाले वक्त में यह 120 रुपए तक जाएगा तो वह इस शेयर को 100 रुपए में खरीदेगा और 120 रुपए पर पहुंचने पर बेचकर मुनाफा कमा लेगा. इसका मतलब है कि भविष्य में कीमत बढ़ने की उम्मीद में शेयर को लॉन्ग टर्म के लिए रखा गया.
शॉर्ट पोजिशन
गोइंग शॉर्ट या शॉर्टिंग सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है. आमतौर पर ट्रेडिंग में किसी भी सामान को बेचने से पहले उसे खरीदना पड़ता है, लेकिन स्टॉक मार्केट में ऐसा नहीं है… दरअसल, जब कोई इन्वेस्टर शॉर्टिंग करता है तो वह ब्रोकर से बाजार कीमत पर शेयर उधार में लेता है और उन्हें बेच देता है. बाद में जब वह उसी शेयर को सस्ते में खरीद कर ब्रोकर को वापस कर देता है. यह सब इसलिए किया जाता है क्योंकि ट्रेडर को लगता है कि शेयर गिरने पर वह इसे खरीद कर मुनाफा बना सकता है.
लॉन्ग और शॉर्ट पोजिशन ट्रेडिंग ज्यादातर डेरिवेटिव्स या फ्यूचर्स और ऑप्शंस सेगमेंट में होते हैं, जहां शेयरों की आगे की तारीख में डिलीवरी के लिए ट्रेडिंग मौजूदा समय में होती है. अधिक जानकारी के लिए लॉन्ग और शॉर्ट पोजीशन पर 5paisa.com (https://bit.ly/3RreGqO) पर जाएं.