सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय के निधन के बाद निवेशकों के पैसे का क्या होगा, इस सवाल का जवाब गुरुवार को सेबी प्रमुख ने दिया. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने कहा कि साहारा के संस्थापक सुब्रत रॉय के निधन के बाद भी पूंजी बाजार नियामक समूह के खिलाफ मामला जारी रखेगा. फिक्की के एक कार्यक्रम में बुच ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सेबी के लिए यह मामला एक इकाई के आचरण से जुड़ा है और यह जारी रहेगा, चाहे कोई व्यक्ति जीवित हो या नहीं. सहारा समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय का मंगलवार को निधन हो गया था. इसके बाद सोशल मीडिया पर यह सवाल पूछा जा रहा था कि सेबी के खाते में पड़ी 25,000 करोड़ रुपए से अधिक की निवेशकों की धनराशि का क्या होगा. सुब्रत रॉय कई विनियामक और कानूनी लड़ाइयों का सामना कर रहे थे. इनमें पोंजी योजनाओं में नियमों को दरकिनार करने का आरोप भी शामिल है.
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने 2011 में सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIREL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SHICL) को वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय बांड (OFCD) के रूप में पहचाने जाने वाले कुछ बांड्स के जरिए करीब तीन करोड़ निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया था.
नियामक ने अपने आदेश में कहा था कि दोनों कंपनियों ने उसके नियमों और विनियमों का उल्लंघन करके धन जुटाया था. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2012 को सेबी के निर्देशों को बरकरार रखा और दोनों कंपनियों को निवेशकों से एकत्र धन 15 फीसद ब्याज के साथ वापस करने को कहा था.
इसके बाद सहारा को निवेशकों को धन लौटाने के लिए सेबी के पास अनुमानित 24,000 करोड़ रुपए जमा करने को कहा गया. हालांकि समूह लगातार यह कहता रहा कि उसने पहले ही 95 फीसद से अधिक निवेशकों को प्रत्यक्ष रूप से भुगतान कर दिया है.
पूंजी बाजार नियामक की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, सेबी ने सहारा समूह की दो कंपनियों के निवेशकों को 11 वर्षों में 138.07 करोड़ रुपए वापस किए हैं. इस बीच पुनर्भुगतान के लिए विशेष रूप से खोले गए बैंक खातों में जमा राशि बढ़कर 25,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गई.
वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, सेबी को 31 मार्च, 2023 तक 53,687 खातों से जुड़े 19,650 आवेदन प्राप्त हुए. इनमें से 48,326 खातों से जुड़े 17,526 आवेदनों के लिए 138.07 करोड़ रुपए की कुल राशि लौटाई गई, जिसमें 67.98 करोड़ रुपए की ब्याज राशि भी शामिल है. शेष आवेदन सहारा समूह की दोनों कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराई जानकारी के जरिए उनका कोई पता नहीं लग पाने के कारण बंद कर दिए गए.
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