भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 73,287 करोड़ रुपए के बकाया को ‘मुश्किल से वसूल’ होने वाले बकाये की कैटेगरी में डाल दिया है. पूंजी बाजार नियामक ने मार्च, 2023 के अंत में इस राशि को मुश्किल से वसूली में रखा है. सेबी को विभिन्न इकाइयों से कुल मिलाकर 1.02 लाख करोड़ रुपए का बकाया वसूलना है. इसमें ऐसी कंपनियां भी शामिल हैं, जो लगाए गए जुर्माने का भुगतान करने में विफल रहीं, या जिन्होंने निवेशकों का धन वापस करने के निर्देश का पालन नहीं किया. सोमवार को जारी सेबी की 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
कुल 1.02 लाख करोड़ रुपए के बकाया में 63,206 करोड़ रुपए पीएसीएल लिमिटेड और सहारा समूह की कंपनी सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन से संबंधित है. यह कुल राशि का 62 फीसद है. नियामक ने कहा कि इसके अलावा 77 मामलों में विभिन्न अदालतों और अदालत द्वारा नियुक्त समितियों के समक्ष कार्यवाही लंबित है. इनमें 70,482.62 करोड़ रुपए या कुल बकाया राशि का 69 फीसद हिस्सा शामिल है.
नियामक ने कहा कि इन मामलों में सेबी की वसूली कार्यवाही संबंधित अदालत/समिति के निर्देशों के अधीन है. ऐसे मामले जहां दिवाला एवं ऋणशोधन संहिता (आईबीसी) लागू है, वहां सेबी की वसूली कार्यवाही प्रभावित होती है. वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार सेबी ने 31 मार्च, 2023 तक 73,287 करोड़ रुपए के बकाया को ‘वसूली करना मुश्किल’ के रूप में वर्गीकृत किया है. इसका मतलब है कि वसूली के सभी तरीकों का इस्तेमाल करने के बाद भी इस राशि को वसूल नहीं किया जा सका है.