शेयर बाज़ार से छोटे निवेशकों के बाहर जाने का ग्राफ़ इस साल अपने उच्च स्तर पर पहुंच गया है. लगातार तीसरे महीने मई में छोटे निवेशक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में शुद्ध विक्रेता रहे. मुनाफ़ा वसूली और एफडी पर मिलने वाला आकर्षक रिटर्न इसकी एक बड़ी वजह है. वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2024 में अब तक हुई खुदरा भागीदारी वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 की तुलना में न के बराबर रह गई है. किसी शेयर में जिन लोगों का निवेश दो लाख रुपए से कम है तो वह छोटे निवेशकों (Retail Investors) की श्रेणी में आते हैं.
एनएसई के मार्केट पल्स के अनुसार, पिछले तीन महीनों के दौरान कुल नेट आउट फ्लो 19,600 करोड़ रुपए रहा. इसमें भी अप्रैल और मई 2023 में कुल आउट फ्लो पिछले सात सालों की समान दो महीने की अवधि की तुलना में सबसे ज़्यादा रहा. वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 में शुद्ध खुदरा निवेश 2.3 लाख करोड़ रुपए था, जो वित्त वर्ष 2023 में घटकर मात्र 49,200 करोड़ रुपए रह गया और वित्त वर्ष 2024 में 31 मई तक यह आंकड़ा घटकर 15,000 करोड़ रुपए के स्तर पर आ गया. पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान देखे गए 2.8 लाख करोड़ रुपए के छोटे निवेश में 1.6 लाख करोड़ रुपए अकेले वित्त वर्ष 2022 के दौरान डाले गए थे.
ब्रोकिंग फर्म ज़ेरोधा (Zerodha) के को-फ़ाउंडर नितिन कामथ का कहना है, “एनएसई, गूगल और सोशल मीडिया पर सक्रिय ग्राहकों का रुझान अब तक के उच्चतम स्तर से काफी नीचे है. ऊंची ब्याज दर के इस माहौल में यह गतिविधि बढ़ने की संभावना नहीं है.”
क्या कहते हैं एक्सपर्ट? कोविड महामारी के दौरान शेयर बाजार में छोटे निवेश की भागीदारी में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई थी. लेकिन महामारी के दौरान बाजार में प्रवेश करने वाले ज्यादातर निवेशक अब बाजार से निकल रहे हैं. अब वह निवेशके दूसरे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. कई ब्रोकरेज फर्मों ने भी माना है कि वह लगातार अपने ग्राहक खोते जा रहे हैं. शेयर बाज़ार के जानकार संतोष सिंह कहते हैं कि आगे भी मौसम और मंदी की मार की वजह से छोटे निवेशक शेयर बाज़ार में निवेश करने से दूरी बनाएंगे. उनके अऩुसार कम से कम अगले छह महीने तक यही ट्रेंड जारी रह सकता है.
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