कोविड महामारी के बाद शेयर बाजार में तेजी का माहौल बना तो बड़ी संख्या में नए निवेशकों ने डीमैट खाते खुलवाए. इससे बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. रूस-उक्रेन युद्ध के बाद बाजार की तेजी में ब्रेक लग गया. भारी उतार चढ़ाव के बीच वर्ष 2022 में सेंसेक्स में महज तीन फीसद का रिटर्न दिया. कई छोटे-मझोले शेयर तो ऐसे रहे कि जिनमें 50 फीसद तक की गिरावट आई. अदानी समूह के शेयरों में आई गिरावट से निवेशकों का भरोसा और डगमगा गया. इससे बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी घटकर 24 महीने के निचले स्तर पर आ गई.
इस साल अप्रैल में 11.61 करोड़ के कुल डीमैट खाता आधार में से 67 लाख खुदरा निवेशकों ने पहली बार एनएसई पर कैश सेगमेंट में हिस्सा लिया. यह देश के कुल डीमैट खातों का लगभग 5.8 फीसदी है. पहली बार बाज़ार में हिस्सा लेने वाले रिटेल निवेशक को यूनिक खुदरा निवेशक कहते हैं. इसकी भागीदारी की गणना पैन या स्थायी खाता संख्या के आधार पर की जाती है. यह निवेशकों की भागीदारी का एक ज्यादा सटीक संकेतक है क्योंकि कुल डीमैट खाता आधार में कई बार इन्वेस्टर्स के एक से ज्यादा खाते होते हैं. इस महीने यूनिक खुदरा निवेशक भागीदारी दो साल के निचले स्तर पर आ गई है. इससे पहले पिछला निम्न स्तर अप्रैल 2021 में देखा गया था जब यूनिक खुदरा निवेशकों की भागीदारी 69.22लाख थी. अक्टूबर 2021 और अप्रैल 2022 के बीच एक करोड़ से ज्यादा यूनिक खुदरा निवेशकों ने नकद बाजार सेगमेंट में हिस्सा लिया था.
खुदरा निवेशकों के बीच लोकप्रिय छोटे स्टॉक्स में अक्टूबर 2021 से सुस्ती दिख रही है. इस अवधि में बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स न ने 4 फीसद का रिटर्न दिया है. ऐसे में बहुत सारा खुदरा पैसा पैसिव म्यूचुअल फंड में चला गया क्योंकि डायरेक्ट इक्विटी निवेश में अच्छा रिटर्न नहीं मिल रहा है. वहीं FD की ओर भी लोग आकर्षित हो रहे हैं. हाल के दिनों कई बैंकों ने FD की दरों में लगातार बढ़ोतरी की है और बैंक 8 फ़ीसदी से भी ज्यादा ब्याज की पेशकश कर रहे हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी घटने के बारे में ब्रोकर्स का कहना है कि शेयरों में खुदरा कारोबार में लगातार गिरावट की वजह मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में नुकसान और एसेट क्लास के तौर पर फिक्स्ड इनकम में आया उछाल है. इसके अलावा पिछले 24 महीनों में अर्थव्यवस्था में बढ़ती ब्याज दरों के कारण भी खुदरा निवेशकों का शेयर बाजार के प्रति रुझान घटा है.
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