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किसी कमोडिटी की कीमत उसकी बाजार में डिमांड पर निर्भर करती है. इस मांग पर ही किसी कमोडिटी एक्सचेंज पर बिकने वाले कमोडिटीज की सप्लाई भी टिकी होती है.
इन्वेस्टमेंट के मामले में बहुत लोग सीधे कॉन्सेप्ट पर चलते हैं. उनके पोर्टफोलियो में FD, म्यूचुअल फंड, PPF और स्टॉक्स होते हैं.
कंज्यूमर गुड्स वह प्रोडक्ट होते हैं जो एक सामान्य कंज्यूमर या ग्राहक अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल के लिए खरीदता है.
किसी कंपनी का मार्केट शेयर यानी बाजार हिस्सेदारी क्या होती है? इसे समझना किसी आम निवेशक के लिए क्यों अहम है और इसे किस तरह से कैलकुलेट किया जाता है
ग्लोबल मार्केट्स से खराब संकेतों के चलते आज भारतीय बाजार बड़ी गिरावट के साथ खुले.
खाने से लेकर नहाने तक, तकरीबन हर फैमिली रोजाना HUL के किसी न किसी प्रोडक्ट को जरूर यूज करती है..लाखों लोग ऐसे भी हैं.
ग्लोबल मार्केट्स से दमदार संकेतों और विदेशी निवेशकों की खरीदारी के आंकड़ों से आज भारतीय बाजारों में मजबूत शुरुआत हुई.
Promotors के गिरवी शेयरों की संख्या घट रही है या बढ़ रही है. यह जानना क्यों जरूरी है ? इसे समझने के लिए देखिए यह वीडियो.
फेड के ज्यादा तेजी से दरें बढ़ाने और ब्रेंट क्रूड में उबाल से भारतीय बाजारों में शुरुआती एक घंटे में मंदड़िए हावी होते नजर आए.
कंपनियों के भी सौ तरह के खर्च होते हैं.इसके लिए कारोबारी कभी वर्किंग कैपिटल लोन लेते हैं तो कभी टर्म लोन. जानने के लिए देखें ये वीडियो...