यूं तो देश का ऑटो सेक्टर वैसे ही मुश्किल दौर से गुजर रहा है. पहले कोविड और फिर चिप की शॉर्टेज. एक के बाद एक मुश्किल…. मतलब, बाजार में ग्राहक हैं लेकिन, कंपनियां गाड़ियां नहीं दे पा रहीं. ऑटो सेक्टर की इन मुश्किलों से इतर मारुति का एक अलग ही दर्द है. दरअसल, मारुति के तले जमीन खिसक रही है. आपको लगेगा ऐसा क्या हो गया है?…मारुति तो देश में सबसे ज्यादा कारें बेचती है. बात सही है, लेकिन मारुति की इसी बादशाहत को दूसरी कार कंपनियां कड़ी चुनौती देने लगी हैं. हालिया आंकड़े देखकर मारुति के हाथ-पैर फूले हुए हैं.
साल 2021-22 में मारुति सुजुकी इंडिया का मार्केट शेयर 43 फीसदी पर पहुंच गया है. ये कंपनी का 8 साल का लो लेवल है. मारुति लंबे वक्त से आधे बाजार पर काबिज रही है. 2019-20 में कंपनी का मार्केट शेयर 51 फीसदी था. अब इस लेवल से 2021-22 में ये हिस्सेदारी 8 फीसदी नीचे आई है. इससे पहले 2013-14 में मारुति की बाजार हिस्सेदारी गिरकर 42 फीसदी पर आ गई थी. खैर, मारुति के आंकड़ों को समझने से पहले एक बार पूरी इंडस्ट्री की मुश्किलें भी देख लेते हैं.
बिक्री के आंकड़े इस क्राइसिस को उजागर करते हैं. 2018-19 में देश में कुल 33.77 लाख पैसेंजर कारें बिकी थीं. 2019-20 में ये आंकड़ा 27.73 लाख पर आ गया. 2020-21 में ये 27.11 पर आ गया. अब 2021-22 में ये आंकड़ा बढ़ा तो लेकिन कोविड के पहले के लेवल यानी 2018-19 तक अभी भी नहीं पहुंच पाया. 2021-22 में कारों की बिक्री 30.5 लाख यूनिट रही.
मारुति की दिक्कतें दो हैं. एक तो उसकी गाड़ियां कोविड और चिप शॉर्टेज जैसी दिक्कतों के चलते कम बिक रही हैं और इस प्रॉब्लम से पूरी इंडस्ट्री ही गुजर रही है. मारुति की दूसरी परेशान ये है कि टाटा मोटर्स, MG मोटर और किया इंडिया जैसी कंपनियां मारुति के बाजार में सेंधमारी कर रही हैं. टाटा मोटर्स ने मारुति को सबसे बड़ा दर्द दिया है.
टाटा मोटर्स का मार्केट शेयर 2018-19 में 6.8 फीसदी था. ये 2021-22 में दोगुना होकर 12 फीसदी हो गया है तो यहां तक की कहानी तो आप समझ गए. अब बात करते हैं आगे की…यानी मारुति इस चुनौती से निपटने के लिए क्या प्लानिंग कर रही है तो मारुति अपनी खोई बाजार हिस्सेदारी को गांवों के रास्ते हासिल करने वाली है और ताजा आंकड़े मारुति की इस स्ट्रैटेजी पर चलने के लिए मजबूर भी कर रहे हैं.
2021-22 में मारुति कुल बिक्री का 43.6 फीसदी हिस्सा गांव-देहात से आया. 2021-22 में मारुति ने कुल 13.31 लाख गाड़ियां बेचीं…इनमें से 5.91 लाख गाड़ियां ग्रामीण इलाकों में बिकी हैं. इससे एक साल पहले यानी 2020-21 में ये आंकड़ा 40.9 फीसदी था यानी गांव-देहात में मारुति की पकड़ बढ़ी है.
अब कंपनी इसी का फायदा उठाकर अपनी बादशाहत को मजबूत करना चाहती है. माने अपनी बाजार में 50 फीसदी हिस्सेदारी को फिर से पाना चाहती है. इसके पीछे एक मजबूत तर्क भी है. इस साल अच्छी बारिश हुई है. साथ ही बंपर पैदावार भी हुई है. सरकार ने भी फसलों के लिए तगड़े MSP के ऐलान किए हैं. यानी किसानों की कमाई अच्छी रहने की उम्मीद है.
अब बढ़िया कमाई होगी तो लोग गाड़ियां भी खरीदेंगे. बस, इसी पर मारुति दांव लगा रही है. यही नहीं, मारुति के पोर्टफोलियो में 5 ऐसी गाड़ियां हैं जो गांव-देहात में खासी पॉपुलर हैं.
इनमें ऑल्टो, स्विफ्ट, वैगनआर, डिजायर और ईको शामिल हैं.
अब इनकी गांव-देहात में बिक्री के आंकड़े भी देख लेते हैं –
ऑल्टो 800 92,000
स्विफ्ट 82000
वैगनR 77000
ईको 58000
डिजायर 59000
कुल मिलाकर बात ये है कि मारुति ने भारतीय बाजार में अपना दबदबा फिर से कायम करने के शहरों को छोड़ गांव-देहात का रुख कर लिया है. अब आने वाले वक्त में ही पता लगेगा कि मारुति की ये स्ट्रैटेजी कितनी सफल रहने वाली है.
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