सालों से बिना दावे के पड़े शेयरों और डिविडेंड को पाने के लिए दावेदारों के लंबित आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इंवेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड एसोसिएशन (IEPFA) की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2023 तक लंबित आवेदनों की संख्या 23,969 हो गई है जबकि 2017-18 में लंबित आवेदनों की संख्या 756 थी. इससे यह लगभग 32 गुना ज्यादा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबित आवेदन किसी स्पष्टीकरण, सुधार या कंपनी अथवा दावेदार की रिपोर्ट की कमी की वजह से बढ़ते जा रहे हैं. वित्त वर्ष 2021-22 तक IEPFA के पास पड़े बिना दावे वाले शेयरों की संख्या एक बिलियन से ज्यादा हो गई है. इनकी राशि कितनी है इस बारे में नहीं बताया जा सकता क्योंकि IEPFA इनके मूल्य की जानकारी नहीं देती है. वहीं लोकसभा में पेश के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2022 तक बिना दावे वाले पड़े डिविडेंड का मूल्य 5,539.25 करोड़ है. लंबित आवेदनों में उछाल, रिफंड चाहने वाले निवेशकों की बढ़ती संख्या के कारण भी आया है. हालांकि ऐसे निवेशकों की भी एक बड़ी संख्या हैं जो डिविडेंड की रकम बहुत कम होने के चलते इसके लिए दावा भी नहीं करने आते.
क्या होते हैं बिना दावे वाले शेयर और डिविडेंड? शेयर मार्केट में कुछ कंपनियां हैं अपने शेयरधारकों को समय-समय पर डिविडेंड देती हैं. शेयरों के इस डिविडेंड के बारे में जब कोई सात सालों तक खोज-खबर नहीं लेता या इस पर दावा नहीं करता, तो इन्हें पहले शेयरों को अनक्लेम्ड सस्पेंस खाते में और फिर उसके बाद आईईपीएफए खाते में भेज दिया जाता है. अक्टूबर 2017 से बिना दावे वाले शेयर्स और डिविडेंड को सरकार ने इंवेस्टर एजुकेशन प्रोटेक्शन फंड (IEPF) में भेजना शुरू कर दिया था.
कहां फंसता है मामला शेयर या डिविडेंड पर दावा नहीं कर पाने के पीछे कई वजह हो सकती हैं. जैसे निवेशक का पता बदल जाए, निवेशक विदेश चला जाए, निवेशक की मौत हो जाए, शेयर प्रमाणपत्र खो जाएं या फिर नाम मेल न खा रहा हो. सात साल तक जब निवेशक इनसे जुड़े अपडेट नहीं देता तो फिर ये IEPF खाते में चले जाते हैं.
क्यों लटक जाता है आवेदन? IEPF में पड़े इन शेयरों और डिविडेंड को पाने की प्रक्रिया बहुत जटिल है. इसके लिए दावेदारों को पहले तो आईईपीएफ फॉर्म-5 भरकर ऑनलाइन क्लेम करना होता है. इसके बाद संबंधित कंपनी के नोडल अधिकारी को दस्तावेजों की हार्ड कॉपी देनी होती है. फिर इसके बाद पूरी प्रक्रिया में कंपनी, इसके रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट (आरटीए) और IEPFA के साथ फॉलोअप करते रहना होता है. मुश्किल ये भी है कि दावेदारों को इस प्रक्रिया और क्या-क्या दस्तावेज चाहिए इस बारे में कई बार ठीक जानकारी नहीं होती इसलिए उनका दावे के लिए किया गया आवेदन लटक जाता है.
अब होगी आसानी सरकार अब आईईपीएफ के प्रस्ताव पर एक इंटिग्रेटिड आईटी पोर्टल बनाया है. इस पोर्टल के ज़रिए अनक्लेम्ड शेयरों और अनपेडडिविडेंड पर फिर से क्लेम करने की प्रक्रिया आसानी हो जाएगी. जिन शेयरधारकों आईईपीएफ आईटी पोर्टल पर जाकर देख पाएंगे कि कि उनके अनक्लेम्ड शेयरों को आईईपीएफ में स्थानांतरित किया गया है या नहीं. इसके बाद वे निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए सीधे पोर्टल के माध्यम से अपने शेयर या डिविडेंड पर दावा कर सकते हैं. पोर्टल पर निवेशकों को अपने एप्लीकेशन स्टेटस की रियल टाइम जानकारी मिल जाएगी और किसी भी कमी को पोर्टल पर अपडेट किया जा सकेगा.
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