भारतीय पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये निवेश सितंबर के अंत तक छह साल के उच्चस्तर 1.33 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है. यह लगातार सातवां महीना है जबकि पी-नोट्स के जरिये निवेश में मासिक आधार पर बढ़ोतरी हुई है. यह वृहद आर्थिक बुनियाद की मजबूती को दर्शाता है.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि यह जुलाई, 2017 के बाद पी-नोट्स के जरिये निवेश का सबसे ऊंचा आंकड़ा है. उस समय पी-नोट्स के जरिये निवेश 1.35 लाख करोड़ रुपए पर था.
ताजा आंकड़ों में शेयरों, बॉन्ड और हाइब्रिड प्रतिभूतियों में निवेश का ब्योरा शामिल है. पार्टिसिपेटरी नोट्स पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं जो सीधे खुद को पंजीकृत किए बिना भारतीय शेयर बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं.
हालांकि, इसके लिए उन्हें पूरी जांच-परख की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.
सेबी के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर के अंत तक भारतीय बाजारों -शेयर, ऋण या बॉन्ड और हाइब्रिड प्रतिभूतियों में… पी-नोट्स के जरिये निवेश 1,33,284 करोड़ रुपए था. एक महीने पहले यह आंकड़ा 1,28,249 करोड़ रुपए था.
इसकी तुलना में, जुलाई में इस मार्ग से निवेश 1.23 लाख करोड़ रुपए, जून में 1.13 लाख करोड़ रुपए, मई के अंत में 1.04 लाख करोड़ रुपए, अप्रैल के अंत में 95,911 करोड़ रुपए, मार्च के अंत में 88,600 करोड़ रुपए और फरवरी के अंत में 88,398 करोड़ रुपए था. जनवरी के अंत में यह 91,469 करोड़ रुपए था.
पी-नोट्स के जरिये निवेश में बढ़ोतरी काफी हद तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के प्रवाह से जुड़ी हुई है.
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि भारत में पी-नोट्स के जरिये निवेश में वृद्धि की मुख्य वजह यह है कि अनिश्चित वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर बनी हुई है.
सितंबर अंत तक पी-नोट्स के जरिये किए गए कुल 1.33 लाख करोड़ रुपए के निवेश में से 1.22 लाख करोड़ रुपए शेयरों में डाले गए. वहीं 10,688 करोड़ रुपए बॉन्ड में और 389 करोड़ रुपए हाइब्रिड प्रतिभूतियों में लगाए गए.