ये ओपन एंडेड होते हैं और मोटे तौर पर से कैश इक्विवैलेंट में निवेश करते हैं. मनी मार्केट सिक्योरिटीज एक साल के औसत मैच्योरिटी पीरियड वाली होती हैं. ट्रेजरी बिल, रीपरचेज एग्रीमेंट, कॉमर्शियल पेपर्स और सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट काफी हाई क्वॉलिटी वाले लिक्विड एसेट माने जाते हैं, इन्हीं इंस्ट्रूमेंट्स में मनी मार्केट फंड पैसा लगाते हैं. मनी मार्केट फंड का जोर इंटरेस्ट अर्निंग्स पर होता है. बैंकों के सेविंग अकाउंट के मुकाबले ये बेहतर रिटर्न देते हैं. हालांकि, रिटर्न नेट एसेट वैल्यू यानी NAV पर निर्भर करता है, जो कि मनी मार्केट में लिक्विडिटी के आधार पर ऊपर-नीचे होता रहता है.
मनी मार्केट फंड्स की NAV इंटरेस्ट रेट में बदलाव पर भी टिकी होती है. पिछले 3 साल में इन फंड्स ने करीब 6 फीसद का औसत सालाना रिटर्न दिया है. गुरु कहते हैं कि इटरेस्ट रेट रिस्क, क्रेडिट रिस्क और रीइन्वेस्टमेंट रिस्क, जैसे सभी रिस्क मनी मार्केट फंड में होते हैं. ये पूरी तरह से जोखिम मुक्त नहीं हैं. इनके फंड मैनेजर ज्यादा जोखिम वाली सिक्योरिटीज में भी निवेश कर सकते हैं जिनमें डिफॉल्ट की ज्यादा गुंजाइश होती है.गुरु कहते हैं कि मनी मार्केट फंड तीन महीने से एक साल के लिए सबसे अच्छे शाॅर्ट टर्म निवेश विकल्प होते हैं. हालांकि, निवेशक का यदि मध्यम अवधि तक का निवेश लक्ष्य है तो वह डायनेमिक बॉन्ड फंड या बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड्स जैसे दूसरे डेट फंड में निवेश कर सकते हैं.
मनी मार्केट फंड का इस्तेमाल आप अपने किसी EMI भुगतान के लिए भी कर सकते हैं. मनी मार्केट साधन कितने तरह के होते हैं.
मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट कितनी तरह के होते हैं?
मनी मार्केट फंड मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. ट्रेजरी बिल, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, कॉमर्शियल पेपर, रीपरचेज एग्रीमेंट ऐसे मनी मार्केट साधनों में आते हैं. सबसे पहले सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (CD) के बारे में जान लेते हैं. ये बैंकों के टाइम डिपॉजिट की तरह ही होते हैं. बस अंतर यह है कि आप इनमें मैच्योरिटी पीरियड से पहले पैसा नहीं निकाल सकते. अब आपको कॉमर्शियल पेपर (CP) के बारे में बताते हैं. अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले कारोबारी और वित्तीय इकाइयां इन्हें उतारती हैं. CP को प्रॉमिसरी नोट्स भी कहा जाता है.
ये अनसेक्योर्ड डेट साधन होते हैं. ये डिस्काउंट पर जारी होते हैं और इसे फेस वैल्यू पर भुनाया जाता है.
अब ट्रेजरी बिल के बारे में जान लीजिए
भारत सरकार 365 दिनों तक के शॉर्ट-टर्म के लिए ट्रेजरी बिल या T-bill जारी करती है. ट्रेजरी बिल्स को सबसे सुरक्षित निवेश साधनों में से एक माना जाता है, क्योंकि इनके पीछे सरकार की गारंटी होती है. इनमें रिटर्न कम मिलता है, लेकिन इसे रिस्क फ्री रेट कहते हैं क्योंकि इनमें जोखिम बिल्कुल नहीं होता. अब अंत में ये भी जान लीजिए कि रीपरचेज एग्रीमेंट्स यानी Repos क्या होते हैं. इस तरह के एग्रीमेंट के द्वारा रिजर्व बैंक सभी कॉमर्शियल बैंकों को लोन देता है. इस एग्रीमेंट की खरीद और बिक्री की जा सकती है.